
नई दिल्ली . नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का दावा है कि कांग्रेस पार्टी और प्रकाशकों ने दानदाताओं और शेयरधारकों से धोखाधड़ी की है. ईडी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रवर्तित एवं नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र का स्वामित्व रखने वाली यंग इंडियन कंपनी के खिलाफ धन शोधन मामले में 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है.
ईडी ने मामले की जांच के बाद कहा था कि यंग इंडियन समाचार पत्र के प्रकाशक एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजेएल) ने 2008 में प्रकाशन बंद कर दिया था. इसके बाद उसने अपनी संपत्तियों का प्रयोग वाणिज्यक रूप में करना शुरू कर दिया था. ईडी के अनुसार एजेएल को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को 90.21 करोड़ रुपये का ऋण चुकाना था, हालांकि एआईसीसी ने 90.21 करोड़ रुपये के उक्त ऋण को एजेएल से गैर-वसूली योग्य माना और इसे 50 लाख रुपये में एक नई निगमित कंपनी यंग को बेच दिया. इसमें हुई धोखाधड़ी से दानदाताओं और शेयरधारकों को नुकसान हुआ.
दोबारा बड़े नेताओं से हो सकती है पूछताछ ईडी ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पार्टी नेता पवन बंसल, कर्नाटक के उप- मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और उनके भाई डीके सुरेश से इस मामले में पूछताछ हुई थी. सूत्रों का कहना है कि ईडी इस मामले की चार्जशीट फाइल करने से पहले इन नेताओं से फिर से पूछताछ कर सकती है.
‘कार्रवाई ध्यान भटकाने का प्रयास’
कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा नेशनल हेराल्ड से संबंधित मामले में कुर्की की कार्रवाई किया जाना पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा की तय हार से ध्यान भटकाने का प्रयास है.
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह कहा कि कोई भी एजेंसी भाजपा की हार को रोक नहीं सकती. इस तरह की तरकीबों से कांग्रेस और विपक्षी दल झुकने वाले नहीं हैं.
सिंघवी ने कहा, ईडी द्वारा एजेएल की संपत्तियों की कुर्की की खबरें इन विधानसभा चुनावों में निश्चित हार से ध्यान हटाने की उनकी हताशा को दिखाती हैं. पीएमएलए के तहत कार्रवाई केवल किसी मुख्य अपराध के परिणामस्वरूप हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस मामले में किसी भी अचल संपत्ति का कोई हस्तांतरण नहीं है, पैसों का कोई लेनदेन नहीं है…वास्तव में ऐसा कोई शिकायतकर्ता नहीं है जिसने यह दावा किया हो कि उसे धोखा दिया गया है.