
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने जाति जनगणना पर पार्टी के आधिकारिक रुख का विरोध किया. उन्होंने कहा कि समावेशी दृष्टिकोण रखने वाली इस पार्टी का अपने पुराने रुख से विचलित होना इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विरासत का अपमान है.
शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में यह भी कहा कि जाति जनगणना देश में व्याप्त असमानताओं और बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए रामबाण नहीं हो सकती. कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य आनंद शर्मा ने जाति जनगणना के मुद्दे पर पार्टी से अलग रुख ऐसे समय अपनाया है, जब लोकसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा हो चुकी है. पार्टी ने इस चुनाव में जो पांच ‘न्याय’और 25 ‘गारंटी’ की बात की है उनमें से एक जाति जनगणना भी है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पिछले कई महीनों से जाति जनगणना के विषय को जोर-शोर से उठा रहे हैं. शर्मा ने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना चुनावी विमर्श में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनकर उभरा है. कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन ने इसका समर्थन किया है. गठबंधन में वे दल भी शामिल हैं, जिन्होंने लंबे समय से जाति आधारित राजनीति की है. हालांकि सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व समझ पर आधारित है.
लोकतंत्र के लिए हानिकारक पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, लेकिन कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई और न ही इसका समर्थन किया. क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता की समृद्ध विविधता वाले समाज में ऐसी राजनीति लोकतंत्र के लिए हानिकारक है.
इंदिरा गांधी के दौर में नारे का जिक्र किया
आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस एक ऐसे समावेशी दृष्टिकोण में विश्वास करती है, जो गरीबों और वंचितों के लिए समानता और सामाजिक न्याय के लिए नीतियां बनाने में भेदभाव रहित है. उन्होंने 1980 में इंदिरा गांधी के समय पार्टी के नारे ‘न जात पर न पात पर, मुहर लगेगी हाथ पर’ का उल्लेख किया.






