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MP: अफ्रीकी चीते 5 नवंबर के बाद बड़े बाड़े में होंगे शिफ्ट, कूनो में करेंगे शिकार

नामीबिया से मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाए गए सभी आठ चीतों का क्वारेंटाइन पीरियड खत्म हो गया है. पांच नवंबर को सभी चीतों को छह किमी लंबे बड़े बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा, जहां वह खुद शिकार कर सकेंगे. सोमवार को चीतों की देखभाल करने के लिए गठित टास्क फोर्स के एक सदस्य ने जानकारी दी कि चीतों को जल्द ही क्वारेंटीन बाड़ों से निकालकर बड़े बाड़ों में शिफ्ट किया जाएगा, जहां वह खुद शिकार कर सकेंगे. फिलहाल चीतों को छोटे बाड़ों में क्वारेंटीन रखा गया है, जहां उन्हें रोजाना भोजन दिया जाता है.

चीता संरक्षण कोष की संस्थापक लॉरी मार्कर और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने 24 अक्टूबर को आंतरिक क्षेत्र को अधिक सुरक्षित बनाने की सिफारिश की थी. उन्होंने चीतों को रखने की जगह को आंतरिक बाड़ को भूमिगत और सौर ऊर्जा संचालित बाड़ से सुरक्षित करने की बात कही थी. इस पर सीटीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि यह प्रारंभिक स्वीकृत डिजाइन का हिस्सा नहीं था, लेकिन कूनो नेशनल पार्क के फील्ड ऑफिसर ने इसके लिए सहमति व्यक्त की. अधिकारी के अनुसार, राज्य के वन विभाग के अधिकारियों ने भूमिगत सौर ऊर्जा से चलने वाले बाड़ लगाने के कार्य को पूरा करने के लिए पांच नवंबर की समय सीमा निर्धारित की है. पांच नवंबर के बाद चीतों को छह क्वारंटाइन बाड़ों से मुक्त किया जाएगा.

राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) (वन्यजीव) जेएस चौहान ने कहा कि हम पांच नवंबर से पहले नए सुझावों के अनुसार काम पूरा कर लेंगे ताकि चीतों को स्थानांतरित किया जा सके. छह वर्ग किमी के घेरे में चीते शिकार को मारकर खाएंगे और स्वाभाविक रूप से खुद को ढाल लेंगे. बाड़े में पहले से ही हिरण, जंगली सुअर, नीलगाय और अन्य वन्य जीवों को चीतों के  शिकार करने के लिए रखा गया है. इसके तीन से चार महीने के बाद चीतों को जंगल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

शिकार का अभ्यास करेंगे चीते

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कूनो के एक अधिकारी ने कहा कि चीता बोमास या बड़े बाड़ वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां वे शिकार का अभ्यास कर सकते हैं. वे एक या दो महीने के लिए बोमास में रहेंगे और फिर पार्क में छोड़ दिए जाएंगे. यह महत्वपूर्ण है कि वे शिकार का अभ्यास करें और नई शिकार प्रजातियों के अभ्यस्त हों. हम निगरानी करेंगे कि वे नई शिकार प्रजातियों को पसंद कर रहे हैं या अभ्यस्त हो रहे हैं. पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने सितंबर में कहा था कि चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर आदि के साथ कूनो में चीतों के लिए अच्छा शिकार आधार है. एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव ने कहा कि अफ्रीका में चीते इम्पाला, गज़ेल्स जैसे वन्य जीवों का शिकार करते हैं, जो बहुत तेज़ होते हैं. इसकी तुलना में भारतीय वन्य जीवों का शिकार करना चीतों के लिए आसान होगा.

चीतों के नामकरण के लिए आए 10 हजार से ज्यादा सुझाव

देश में लंबे वक्त के बाद चीतों की वापसी हुई है, उनसे लोगों को परिचित कराने के लिए केंद्र सरकार ने लोगों से चीतों का नाम बदलने के लिए सुझाव भेजने की अपील की थी, जिसकी समय सीमा हाल ही में सोमवार को खत्म हुई. रविवार तक चीतों के लिए 10,857 नाम सुझाए गए थे और भारत में चीता परियोजना के नामकरण पर 16,670 सुझाव दिए गए थे. वर्तमान में आठ चीतों के नाम एल्टन, फ्रेडी, ओबन, साशा, सियाया, सवाना त्बिलिसी और आशा हैं. आठवें मादा चीते को खुद पीएम मोदी ने आशा नाम दिया था, उसका पहले से कोई नाम नहीं था, क्योंकि उसे साउथ अफ्रीका के जंगलों से भारत लाने के कुछ ही वक्त पहले पकड़ा गया था. हालांकि सभी चीतों के नाम बदले जाएंगे या नहीं इस पर अभी संशय है.

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