
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 22 जनवरी को भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और भारत के अमृत काल की शुरुआत महज संयोग नहीं है बल्कि एक संकेत है कि देश आगे चलकर दुनिया में प्रमुखता से उभरेगा.
केंद्रीय मंत्री ने यहां स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठानम (एसजीवीपी) द्वारा आयोजित पुराणी स्वामी स्मृति महोत्सव को संबोधित किया. शाह ने स्वामीनारायण संप्रदाय के कार्यों की सराहना की और कहा कि इसने ब्रिटिश शासन के कठिन समय के दौरान भक्ति, नशामुक्ति और परिवारों को एक साथ रखने की गतिविधियों के माध्यम से सनातन धर्म से जुड़े रहने में मदद करके कई लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला. उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि अगर स्वामीनारायण के विभिन्न संस्थानों के गुरुकुल गुजरात में काम नहीं कर रहे होते, तो राज्य का सार्वभौमिक शिक्षा का अभियान अधूरा रह जाता. उन्होंने कहा कि अमृत काल, जिसका मोटे तौर पर अनुवाद स्वर्ण युग होता है, भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष से 100 वर्ष तक की 25 वर्ष की अवधि को संदर्भित करता है. कहा कि रामलला ऐसे समय में अपने घर में प्रवेश करेंगे जब देश के योग और आयुर्वेद को पूरी दुनिया में स्वीकार्यता मिल रही है.
नए कानूनों पर संदर्भ पुस्तकें जारी कीं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हाल ही में लागू आपराधिक न्याय कानूनों से संबंधित 12 संदर्भ पुस्तकों का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि पुस्तकों ने कानूनों में किए गए बदलावों को संक्षिप्त और सरल तरीके से स्पष्ट रूप से सामने लाया है.
डेयरी सहकारी समितियां ई-व्यवसाय की ओर बढ़ें
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि देश में डेयरी सहकारी समितियों को ‘ई-व्यवसाय की ओर 100 प्रतिशत आगे बढ़ना चाहिए. वह गुजरात के आनंद में नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीडीएफआई) के मुख्यालय का वर्चुअल शिलान्यास करने के बाद बोल रहे थे. शाह ने सभा को बताया कि मैं एनसीडीएफआई सदस्यों से ई-बिजनेस की ओर 100 प्रतिशत आगे बढ़ने का आग्रह करता हूं.
मामले जटिल बनाए गए
शाह ने कहा कि मामलों को (अदालत के) जटिल बनाया गया और देरी की गई. फिर नरेंद्र भाई के नेतृत्व में सरकार बनी और संतों के आशीर्वाद और प्रेरणा से सभी रास्ते सुगम हो गए और 22 जनवरी को रामलला फिर से अपने घर में विराजमान होंगे.