दुनिया

ऑस्ट्रेलिया के तट पर 14 व्हेल फिर पायी गयीं मृत! क्या है मौत की वजह?

ऑस्ट्रेलिया का तस्मानिया स्पर्म व्हेल की वजह से सुर्खियों में है. दरअसल, यहां एक के बाद 14 स्पर्म व्हेल की मौत हो गई. यह मामला किंग आइलैंड का है,जहां लोगों ने कई व्हेल मछलियों को एक साथ पड़े हुए देखा. अभी तक व्हेल मछलियों के मरने के कारणों का पता नहीं चला है और अब इसके जानकार मौत के असर कारणों का पता लगा रहे हैं. साथ ही अभी इनकी संख्या में बढ़ोतरी होने की भी संभावना देखी जा रही है. वैसे तस्मानिया के बीच अक्सर व्हेल की मौत को लेकर चर्चा में रहते हैं. कुछ साल पहले ही तस्मानिया के पश्चिमी तट पर इसी तरह से 470 पायलट व्हेल फंसी हुई पाई गई थीं.एक हफ्ते तक चले बचाव अभियान के बाद 111 व्हेल्स को बचाया जा सका था और 350 व्हेल्स की मौत हो गई थी. बता दें कि स्पर्म व्हेल काफी चर्चित व्हेल में से एक है और काफी दुर्लभ मानी जा रही है, ऐसे में उनकी मौत कई सवाल उठाती है.

अधिकारी यह निर्धारित करने के लिए एक हवाई सर्वेक्षण करने की योजना बना रहे थे कि क्या क्षेत्र में कोई अन्य व्हेल हैं. विभाग ने कहा कि तस्मानिया में शुक्राणु व्हेल का दिखना असामान्य नहीं है और समुद्र तट पर जिस क्षेत्र में उन्हें खोजा गया था, वह उनकी सामान्य सीमा और निवास स्थान के भीतर था.

पर्यावरण विभाग ने कहा, ‘जबकि आगे की पूछताछ की जानी बाकी है, यह संभव है कि व्हेल एक ही बैचलर पाड का हिस्सा थीं, युवा पुरुष शुक्राणु व्हेल का एक समूह जो मातृ समूह को छोड़ने के बाद एक साथ जुड़ रहा था.’

क्यों खास है स्पर्म व्हेल

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बता दें कि स्पर्म व्हेल को दुनिया की दुर्लभ प्रजाति माना जाता है और दांत जैसा इसके शरीर का छोटा सा हिस्सा भी करोड़ों में बिकता है. अब इनकी संख्या लगातार कम हो रही है और बताया जाता है कि इस समय दुनिया में करीब तीन लाख स्पर्म व्हेल ही बची हैं. इन व्हेल को उल्टी की वजह से भी जाना जाता है. दरअसल, उनकी उल्टी काफी महंगी होती है और उसके एक किलो की कीमत भी करीब 30 लाख रुपये होती है.

जब स्पर्म व्हेल किसी कैटलफिश, ऑक्टोपस या किसी दूसरे समुद्री जीव को खाती है तो इसके पाचन तंत्र में खास तरह का स्राव होता है. ऐसा इसलिए होता है ताकी नुकीले दांत या अंग से उसके शरीर को नुकसान न पहुंचे. बाद में स्पर्म व्हेल गैर जरूरी स्राव को उल्टी के जरिए अपने शरीर से निकाल देती हैं. इस दौरान वह अपने शरीर से एम्बेग्रेस को निकालती है. सूरज की रोशनी और समुद्र का खारा पानी मिलने के बाद उल्टी एम्बेग्रेस बन जाता है. एम्बेग्रेस की गंध बहुत बुरी होती है, लेकिन हवा के संपर्क में इसकी गंध मीठी हो जाती है. एम्बेग्रेस परफ्यूम की सुगंध को हवा में उड़ने से रोकता है.

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