रायपुर से कुछ दूर, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर डिस्ट्रिक्ट में एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जहां इंसान और जानवर के बीच गहरी दोस्ती का नजारा देखने को मिलता है।
बाबा की कुटिया में आते हैं भालू
यह घटना छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित बैकुंठपुर के उचेहरा गांव की है, जहां एक बाबा की कुटिया में रोज़ छह भालू आते हैं। ये भालू बाबा से प्रसाद लेकर पानी पीते हैं और फिर जंगल लौट जाते हैं। यह दृश्य न केवल गांववालों बल्कि बाहरी लोगों के लिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि भालू किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
भालू को ‘सीता-राम’ कहकर बुलाते हैं बाबा
बाबा इन भालुओं को ‘सीता-राम’ के नाम से पुकारते हैं। वे इन भालुओं को अपने बच्चों जैसा मानते हैं और उन्हें सत्तू का आटा घोलकर खिलाते हैं। यह झुंड बाबा की बातों को मानता है और आराम से उनके पास बैठकर खाना खाता है। लोग बताते हैं कि भालू बाबा के इशारे पर आसानी से जंगल लौट जाते हैं, बिना किसी हिंसा के।
बाबा की देखरेख में भालू
बाबा का कहना है कि ये भालू नादान और बेज़ुबान हैं, और उन्हें वह भगवान की तरह मानते हैं। उनका मानना है कि यह उनके लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि वे साक्षात भगवान को अपने हाथों से भोजन करा रहे हैं। बाबा का प्यार और देखभाल इन भालुओं के लिए किसी आशीर्वाद से कम नहीं है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
यह अनोखा दृश्य अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। आसपास के लोग इन भालुओं और बाबा के रिश्ते को देखने के लिए कुटिया में आने लगे हैं और उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं।
इस तरह की दिल छूने वाली घटना ने लोगों को इंसान और जानवरों के बीच गहरे संबंधों के बारे में सोचने पर मजबूर किया है।