वंदे भारत एक्सप्रेस को मवेशियों की चपेट बचाने के लिए पश्चिम रेलवे ने अहम कदम उठाए हैं. शनिवार (29 अक्टूबर) को मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस गुजरात के अतुल रेलवे स्टेशन के पास हादसे का शिकार हो गई थी. एक गाय ट्रेन के सामने आ गई. एक महीने में वंदे भारत एक्सप्रेस का यह तीसरा हादसा था.
ऐसे हादसे न हों, इसके लिए पश्चिम रेलवे का रेलवे सुरक्षा बल आगे आया है. पश्चिम रेलवे के आरपीएफ के पास यात्रियों और रेलवे संपत्ति की सुरक्षा का जिम्मा है. मुंबई मंडल के आरपीएफ ने पाया है कि मवेशी मालिक और चरवाहे आदतन मवेशियों को रेलवे की जमीन और पटरियों पर चरने के लिए छोड़ देते हैं. इससे मवेशी रन-ओवर के मामले सामने आ रहे हैं.
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर के अनुसार, कैटल रन-ओवर की ऐसी घटनाओं ने रेल परिचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, जिससे ट्रेन के पटरी से उतरने सहित दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है. यह यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है और रेल यातायात में व्यवधान आदि का कारण बनता है.
भविष्य में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए मुंबई डिवीजन के रेलवे सुरक्षा बल ने विभिन्न संवेदनशील स्थानों की पहचान की है. आरपीएफ ने इन सभी स्थानों पर लगातार जागरूकता अभियान चलाया है. 2022 में आरपीएफ ने अब तक संवेदनशील स्थानों पर 1,023 जागरूकता अभियान चलाए हैं. इसके अलावा आरपीएफ ने रेलवे ट्रैक के आसपास के सभी गांवों के सरपंचों के साथ बैठकें की हैं. इस साल 50 से ज्यादा ऐसी बैठकें हो चुकी हैं.
आरपीएफ की ओर से आस-पास के निवासियों और मवेशी चराने वालों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने पशुओं को रेलवे ट्रैक के पास न चरने दें क्योंकि पशुधन के रेलवे ट्रैक क्षेत्र में प्रवेश करने या पटरी पार करने से तेज गति से आती ट्रेनों से दुर्घटना की अत्यधिक संभावना बढ़ जाती है. पटरियों के किनारे कचरा डंप करना हादसे का एक कारण है क्योंकि यह मवेशियों को रेलवे की जमीन और पटरियों के पास चरने के लिए आकर्षित करता है. रेलवे ट्रैक के पास आवारा पशुओं की आवाजाही को रोकने के लिए आरपीएफ मुंबई डिवीजन शहर प्रशासन और शहर पुलिस के साथ मिलकर भी काम कर रहा है.
पश्चिम रेलवे की ओर से उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है. रेलवे की जमीन या क्षेत्र में मवेशियों के घूमते पाए जाने पर रेलवे अधिनियम 1989 के प्रावधानों के अनुसार, मवेशियों के मालिकों को धारा 154 (जानबूझकर या चूक से रेल यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालना, जो 1 साल के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय है) और धारा 147 के तहत भी दंडित किया जा सकता है. इसके अंतर्गत ट्रेसपासिंग के मामलों में 6 महीने का कारावास या 1000 रुपये का जुर्माना या दोनों सजाएं हो सकती हैं.