भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने एक बार फिर से गूगल पर एक्शन लेते हुए 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया. यह जुर्माना प्ले स्टोर की नीतियों के संबंध में अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए लगाया गया है. सीसीआई ने पाया कि गूगल ने अपनी दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग किया है. नियामक ने कंपनी को अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं को रोकने का निर्देश दिया है.
सीसीआई ने बयान में कहा कि उसने गूगल को निर्देश दिया है कि वह एक निर्धारित समयसीमा के भीतर अपने आचरण में सुधार करे. एक हफ्ते से भी कम समय में यह दूसरा मौका है, जब गूगल के खिलाफ सीसीआई ने बड़ा फैसला किया है. इससे पहले नियामक ने 20 अक्टूबर को एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के संबंध में कई बाजारों में अपनी दबदबे की स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
सीसीआई ने गूगल के इन एंड्रॉयड ऐप्स के लाइसेंस की जांच की और उसमें पाया है कि गूगल अपने ऐप्स को एंड्रॉयड डिवाइस में प्री-इंस्टॉल्ड करके अपने ऐप्स को बढ़ावा देता है और मार्केट से कंप्टीशन को खत्म कर देता है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल ने जब इस आरोप के बारे में सवाल पूछा तो गूगल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि वो इस कंप्टीशन में अकेले हैं.
उनके एंड्रॉयड इको सिस्टम का कंप्टीशन एप्पल के iOS इको सिस्टम से होता है. हालांकि, सीसीआई ने गूगल के इस तर्क पर गौर किया और पाया कि एप्पल और गूगल यानी आईओएस और एंड्रॉयड के बिजनेस मॉडल में काफी अंतर है, इसलिए इन दोनों में कंप्टीशन का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने साफ-साफ कहा है कि गूगल किसी भी यूजर्स को अपने प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को इंस्टॉल या अन-इंस्टॉल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है और वो ऐसा ना करे. हालांकि, गूगल ने अभी तक अपने ऊपर लगाए गए इस जुर्माने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.