ब्रिटेन और कनाडा के कुछ हिस्सों में इन हाल ही में सिख कट्टरपंथ या हिंदू मंदिरों पर हमले की खबरें सामने आई हैं. इस दौरान अब ताजा घटनाक्रम की बात करें तो इंग्लैंड के लीसेस्टर के बाद अब स्मेथविक में भी प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं. दावा किया गया है कि मंगलवार को बड़ी संख्या में दूसरे समुदाय के लोग हिंदू मंदिर के बाहर एकत्र हुए थे और नारेबाजी करके प्रदर्शन किया था. इन सभी घटनाओं को लेकर मोदी सरकार गंभीर है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार इन घटनाओं को देखते हुए ब्रिटेन और कनाडा पर कड़ी निगरानी रख रही है. मोदी सरकार ने इसके साथ ही कनाडा और ब्रिटेन को इन घटनाओं को लेकर कड़ा जवाब देने के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है. भारत सरकार लीसेस्टर में भारतीय समुदाय के खिलाफ हुए प्रदर्शन को लेकर ब्रिटेन की सरकार से अपना विरोध जता चुकी है. साथ ही यह भी निगरानी रख रही है कि कैसे ब्रिटिश एजेंसियां सिख कट्टरपंथियों की ओर से अलगाववाद के मकसद से जुटाए जा रहे फंड पर आंखें मूंदे हैं.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों में रूस द्वारा कराए जाने वाले “जनमत संग्रह” की कड़ी निंदा की है. लेकिन, उन्होंने 19 सितंबर को ब्रैम्पटन और ओंटारियो में प्रतिबंधित “सिख फॉर जस्टिस” संगठन द्वारा आयोजित तथाकथित जनमत संग्रह पर आंखें मूंद ली हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने ग्लोबल अफेयर्स कनाडा को तीन राजनयिक संदेश भेजे हैं. ट्रूडो सरकार से अवैध जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा है.
ट्रूडो सरकार ने 16 सितंबर को मोदी सरकार को जवाब देते हुए कहा है कनाडा भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करता है और इस तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देता है. यूक्रेन के मामले की तरह कट्टरपंथी सिखों द्वारा आयोजित जनमत संग्रह की पीएम ट्रूडो द्वारा कोई निंदा नहीं की गई. ट्रूडो सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कनाडा में व्यक्तियों को इकट्ठा होने और अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है.
अमेरिका के मुकाबले कनाडा में अपराध एक-तिहाई है. लेकिन कनाडा से भारत विरोधी गतिविधियां लगातार होती रही हैं. कनाडा में 6 लाख से ज्यादा विदेशी छात्र है, जिसमें 2 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र है. वर्ष 2021 में करीब 1 लाख भारतीयों को कनाडा का स्थायी नागरिक बनाया गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में रहने वाले स्थायी भारतीयों की संख्या वर्ष 2016 में 39 हजार 340 थी जो 2019 में बढ़कर 80 हजार 685 हो गई. 2015 के चुनाव में कनाडा (Canada) के 21 सांसद भारतीय मूल के लोग थे. वर्ष 2019 के चुनाव में ये संख्या बढ़कर 23 हो गई थी. जबकि 2021 में 17 सांसद, भारतीय मूल के लोग थे. भारतीय मूल के हरजीत सिंह सज्जन तो कनाडा के रक्षा मंत्री बने थे. एक ऐसा देश जहां भारतीय लोग रचे बसे हैं, वो खालिस्तानी आतंकियों का बड़ा सेंटर बनता जा रहा है. ये बात भारत और कनाडा दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है.