हैदराबाद. तेलंगाना के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने राज्य भर में बड़ी संख्या में टाइफाइड के मामले दर्ज होने के लिए पानी पूरी को जिम्मेदार ठहराया है. सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक डॉ जी. श्रीनिवास राव ने कहा कि टाइफाइड को ‘पानी पूरी’ बीमारी कहा जा सकता है, और लोगों को सलाह दी कि वे मौजूदा बारिश के मौसम में टाइफाइड और अन्य मौसमी बीमारियों से खुद को बचाने के लिए इससे और अन्य स्ट्रीट फूड से बचें.
टाइफाइड के ज्यादा मामले आ रहे सामने
सड़क किनारे की दुकानों पर कई लोगों की ‘पानी पूरी’ के कई टुकड़े निगलने की आदत का जिक्र करते हुए, उन्होंने उनसे अपने स्वास्थ्य को खराब नहीं करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘आपको पानी पूरी 10-15 रुपये में मिल सकती है, लेकिन कल आपको 5,000-10,000 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि विक्रेताओं को भी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए और सुरक्षित पेयजल का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए. राव ने बताया कि इस साल टाइफाइड के अधिक मामले सामने आ रहे हैं. मई के दौरान 2,700 मामले सामने आए, जबकि जून के दौरान यह संख्या 2,752 थी.
दूषित भोजन, पानी और मच्छरों को मौसमी बीमारियों के मुख्य कारणों के रूप में पहचाना जाता है, जिनमें मलेरिया, तीव्र डायरिया रोग (एडीडी), और वायरल बुखार शामिल हैं, जो पिछले कुछ हफ्तों में सामने आए हैं. इस महीने अकेले राज्य भर में 6,000 डायरिया के मामले दर्ज किए गए. राव ने लोगों को ताजा खाना खाने और पीने के पानी को उबालने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि जनवरी से अब तक राज्य में डेंगू के कुल 1,184 मामले सामने आए हैं. अकेले हैदराबाद में 516 मामले सामने आए. लगभग सभी जिलों में डेंगू के मामले सामने आए हैं. जून में डेंगू के 563 मामले दर्ज किए गए, जबकि इस महीने के पहले 10 दिनों में 222 मामले सामने आए.राज्य मलेरिया के मामलों की भी रिपोर्ट कर रहा है.
उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को लार्वा रोधी अभियान तेज करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने लोगों से मच्छरों के खतरे को खत्म करने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को ड्राई-डे के रूप में मनाने का भी आग्रह किया. राव ने यह भी कहा कि हालांकि पिछले छह हफ्तों के दौरान कोविड -19 मामलों की संख्या बढ़ी है, लोगों को घबराना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड एक स्थानिक चरण में प्रवेश कर चुका है, और इसके लक्षण सामान्य सर्दी और बुखार हैं.
उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि कोविड भी एक मौसमी बीमारी बन गई है. उन्होंने कहा कि अगर किसी में भी कोविड जैसे लक्षण हैं तो वह खुद को पांच दिनों के लिए क्वारंटाइन कर लें. अगर किसी व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं है तो उसे कोविड टेस्ट की जरूरत नहीं है.
जन स्वास्थ्य निदेशक ने कहा कि जिन कोविड मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो, उन्हें ही अस्पतालों में भर्ती किया जाए. उन्होंने निजी अस्पतालों को अनावश्यक रूप से प्लेटलेट्स चढ़ाने के प्रति भी आगाह किया.