बॉम्बे हाई कोर्ट ने औरंगाबाद के नए नाम के इस्तेमाल पर निर्देश दिया

महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया है. हालांकि अभी नाम बदलने की प्रक्रिया चल रही है और अभी तक नाम नहीं बदला गया है. महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया है कि वह अधिकारियों को निर्देश देगी कि नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक औरंगाबाद के नए नाम का उपयोग न करें. बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाम बदलने के मुद्दे पर अंतिम फैसला आने तक सरकारी दस्तावेजों पर औरंगाबाद का नाम नहीं बदलने का निर्देश दिया है.
कोर्ट औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ मुच्छला ने नाम बदलने के मामले में कई आरोप भी लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इतिहास को संशोधित करने के लिए महाराष्ट्र में मुस्लिम नाम वाले सभी शहरों के नाम बदलने का अभियान चल रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान पीढ़ी को अपमानित करने के लिए इतिहास को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए.
मुच्छला ने तर्क दिया, “सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियां अतीत की कैदी नहीं रह सकती… वर्षों पहले उस समय के प्रचलित राजनीतिक लोकाचार के अनुसार, कुछ घटनाएं हुई हैं, कुछ ने निश्चित अत्याचार किया होगा. और अब क्यों इतिहास को वर्तमान पीढ़ी से बदला लेने और उन्हें अपमानित महसूस कराने के लिए हथियार बना दिया गया है. इसीलिए यहां अनुच्छेद 21 का उल्लंघन किया गया.”
याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि प्रक्रिया पूरी नहीं होने के बावजूद औरंगाबाद में अधिकारियों ने प्रस्तावित नाम छत्रपति संभाजीनगर का उपयोग करना शुरू कर दिया है. पिछले हफ्ते, उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने को चुनौती देने वाली अन्य जनहित याचिका में एजी ने बयान दिया कि नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होने तक अधिकारी नए नाम का उपयोग नहीं करेंगे. अदालत ने सोमवार को औरंगाबाद के संबंध में उसी बयान को रिकॉर्ड पर लिया.
देवेंद्र फडणवीस ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने को लेकर दी गई अनुमति के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आभार जताया और कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दोनों शहरों का नाम बदल गया है. बता दें कि इससे 35 साल पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे द्वारा औरंगाबाद में आयोजित एक जनसभा के दौरान औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर कर दिया था.