मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारत सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के फाउंडर बिल गेट्स और DCGI प्रमुख को नोटिस भेजा है. उन्हें दिलीप लूणावत नाम के एक व्यक्ति द्वारा दी गई याचिका के आधार पर यह नोटिस भेजा गया है. लूणावत ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की वजह से उनकी बेटी डॉ. स्नेहल लूणावत की मौत हो गई थी. अब इस पर उन्होंने 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है. अपनी याचिका में दिलीप लुणावत ने सरकार और इन अन्य लोगों पर कोविड वैक्सीन से जुड़े भ्रामक तथ्य फैलाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि इस वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर गलत दावे किए गए थे. अब इस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका में शामिल सभी लोगों से जवाब मांगा है.
पेशे से डॉक्टर थी दिलीप लूणावत की बेटी
दिलीप लूणावत औरंगाबाद के रहने वाले हैं. उन्होंने अदालत को बताया कि उनकी बेटी भी एक डॉक्टर थी. वह धमनगांव के एमएमबीटी डेंटल कॉलेज और हॉस्पिटल में सीनियर लेक्चरर थी. मेडिकल कॉलेज में सभी स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना वैक्सीन लेने के लिए कहा गया था. तब उनकी बेटी को भी इस वैक्सीन को लेना पड़ा.
याचिका के अनुसार 28 जनवरी, 2021 को स्नेहल ने वैक्सीन ली. इसके कुछ दिनों बाद स्नेहल को तेज सिरदर्द और उल्टी हुई और उसे अस्पताल ले जाया गया. यहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके दिमाग में रक्त स्राव हो रहा है. एक मार्च, 2021 को स्नेहल की मौत हो गई. इसमें दावा किया गया है कि मौत का कारण कारण वैक्सीन का दुष्प्रभाव था.
17 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस माधव जामदार की बेंच ने 26 अगस्त को याचिका पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया. मामले की सुनवाई 17 नवंबर को होगी. याचिका में दो अक्टूबर, 2021 को टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (AEFI) संबंधी केंद्र सरकार की समिति द्वारा पेश एक रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. याचिका में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से 1,000 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई है. बता दें कि साल 2020 में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ एक साझेदारी की थी.