भोपाल. मध्यप्रदेश से बड़ी खबर मिल रही है कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया है. वे दो मठों, द्वारका मठ एवं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य थे. द्विपीठाधीश्वर होने के नाते स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती करोड़ों सनातनियों की आस्था के प्रतीक भी हैं.
उनका जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में दिघोरी गांव में हुआ था. माता.पिता ने उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा. उन्होंने महज नौ साल की उम्र में घर छोड़ दिया और धर्म की यात्रा शुरू कर दी. वे काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग और शास्त्रों की शिक्षा ली. स्वामी स्वरूपानंद सन 1950 में दंडी संन्यासी बनाये गए. उन्होंने ज्योतिष पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे. 1981 में उन्हें शंकराचार्य की उपाधि मिली थी.