
केंद्र सरकार नक्सल और आतंकवाद पर नकेल के बावजूद नई सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर सतर्क है. सुरक्षा बलों के साथ पुलिसिंग को भी नई चुनौती के लिए अपग्रेड करने को कहा गया है.
पुलिस की क्षमता निर्माण पर विशेष फोकस किया जा रहा है. गृहमंत्रालय ने राज्य सरकारों को नई चुनौती के मद्देनजर राज्य पुलिस बलों को प्रशिक्षण, नए उपकरणों की खरीद, अपग्रेडेशन आदि के लिए प्रस्ताव तैयार करने और आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेज करने को कहा है.
खुद गृहमंत्री अमित शाह ने पांच सूत्र दिए थे. अर्बन पुलिसिंग की पद्धति में बदलाव, पुलिस की क्षमता निर्माण, टेक्नोलॉजी मिशन में भागीदारी के साथ आधारभूत ढांचे, क्रिटिकल इन्फ्रस्ट्रक्चर का विकास और डिजिटल पब्लिक उपकरणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए सुरक्षा बलों को तैयारी करने को कहा गया था.
सूत्रों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद और नक्सल इलाकों में उग्रवाद की घटनाओं में कमी के बावजूद कट्टरपंथ, तकनीकी प्रयोग से अपराध में तेजी, सोशल मीडिया का अपराधिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल, साइबर अपराध जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं. आतंकी तकनीक के मामले में भी काफी आगे हैं. लिहाजा एजेंसियों को कहा गया है कि वे अपराधियों, आतंकियों से दो कदम आगे की सोच विकसित करें.
आतंकी घटनाओं में 168 फीसदी की कमी
पूर्वोत्तर में लगभग 30 प्रतिशत क्षेत्र से अफ्स्पा हटाने का काम हुआ है, पिछले 3 सालों में हर प्रकार की हिंसा में वहां 42 प्रतिशत की कमी आई है. इसी तरह वर्ष 2010 में 96 जिले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित थे, अब 46 रह गए हैं, सुरक्षा रिक्तता को 72 प्रतिशत भर लिया गया है. जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 168 फीसदी की कमी आयी है. आतंकवाद के वित्त पोषण से जुड़े मामलों में दोषसिद्धि दर 94 प्रतिशत से अधिक है.