केंद्र सरकार मृत्युदंड के नए तरीके कम पीड़ादायक वैकल्पिक तरीकों पर विचार करेगी

नई दिल्ली . केंद्र सरकार ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि वह ‘मृत्युदंड देने के लिए कम पीड़ादायक वैकल्पिक तरीकों का खोज करेगी. सरकार ने न्यायालय को बताया कि इसके लिए वह विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर रही है. अभी देश में मौत की सजा पाए व्यक्ति को फांसी देने का तरीका अपनाया जाता है.
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने यह जानकारी दी.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की इन दलीलों पर गौर किया कि सरकार विशेषज्ञों की समिति बनाने के उनके सुझाव पर विचार कर रही है तथा इस पर चर्चा की जा रही है.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रस्तावित समिति के लिए नाम तय करने से जुड़ी प्रक्रिया चल रही है और वह कुछ समय बाद ही इस पर जवाब दे पाएंगे. पीठ ने कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल ने कहा कि एक समिति गठित करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है. इसे देखते हुए हम गर्मियों की छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे.’’
अटॉर्नी जनरल ने पीठ को बताया कि उन्होंने उन्होंने इस मुद्दे पर सुझाव दिया था और सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है. वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि समिति के लिए नाम तय करने से जुड़ी प्रक्रिया चल रही है, ऐेसे में कुछ समय बाद ही मामले में समुचित जवाब दे पाएंगे. इसके बाद पीठ ने अटॉर्नी जनरल की बात पर गौर करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान की जाएगी. शीर्ष कोर्ट ने 21 मार्च को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि वह इस बात की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर सकता है कि क्या मौत की सजा पर अमल के लिए फांसी की सजा आनुपातिक और कम दर्दनाक है. शीर्ष अदालत ने मृत्युदंड के तरीके से जुड़े मुद्दों पर ह्यबेहतर आंकड़ाह्ण भी केंद्र सरकार को पेश करने का निर्देश दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय ऋषि मल्होत्रा की ओर से 2017 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में मृत्युदंड के लिए फांसी पर लटकाने के मौजूदा तरीके को समाप्त करने का अनुरोध किया गया है.