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17 नवंबर से छठ महाप्रव की शुरुआत, जानें नहाय-खाय, खरना और अर्घ्य देने की तिथि और मुहूर्त

छठी मैया और सूर्य उपासना के चार दिवसीय पर्व का 17 नवंबर, शुक्रवार से शुभारंभ होने जा रहा है, जो नहाय-खाय के विधान से शुरू होगा. संतान की सुख-समृद्धि व दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और षष्ठी मईया की स्तुति छठ पर की जाएगी. घरों में छठ मइया के समक्ष अखंड दीप जलाकर मनौती की जाती है. नहाय-खाय के दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल प्रसाद के रूप में बनाती हैं. प्रसाद शुद्ध तरीके से साफ चूल्हे पर बनाया जाता है.

18 नवंबर को खरना है. इस दिन व्रती महिलाएं गुड़ की खीर बनाकर भगवान को लगाएंगी और प्रसाद के रूप में इसे बाटेंगी. खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेती हैं. इसके बाद 19 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए संगम व गंगा-यमुना तट पर व्रतियों की भीड़ उमड़ेगी. उगते सूर्य को 20 नवंबर के दिन अर्घ्य देने के साथ छठ के महापर्व की समाप्ति होती है.

छठ पूजा शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल षष्ठी ति​थि शुरुआत- 18 नवंबर, सुबह 09:19 ए एम

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कार्तिक शुक्ल षष्ठी ति​थि समाप्त- 18 नवंबर,सुबह 07:24 ए एम

उदयातिथि- 19 नवंबर

नहाय-खाय- 17 नवंबर

लोहंडा और खरना- 18 नवंबर

छठ पूजा संध्या अर्घ्य- 19 नवंबर

व्रत पारण- 20 नवंबर

छठ पूजा महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ की पूजा काफी मुश्किल पूजा मानी जाती है. इस पूजा के दौरान महिलाएं तीन दिनों तक निर्जला व्रत रखती हैं, जो बेहद ही कठिन माना जाता है. छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य देव और छठी मां की पूरे विधि विधान से उपासना की जाती है. इस पूजा में नदी के किनारे भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. संतान प्राप्ति और संतान के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए छठ पूजा की जाती है.

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