बाल विवाह जैसी समाजिक कुरीति को रोकने के लिए जिला प्रशासन की टीम के द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। कलेक्टर कुलदीप शर्मा के मार्गदर्शन तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग अभिलाषा बेहार के नेतृत्व में जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम के द्वारा विकासखण्ड बैकुण्ठपुर के ग्राम कसरा एवं विकासखण्ड खड़गवां के ग्राम उधनापुर में बाल विवाह का प्रकरण संज्ञान में आने पर मौके पर पहुंच कर औचक निरीक्षण कर दोनों विवाह रोकने में सफलता पायी गई। दोनों ही मामलों में प्रमाणपत्रों का निरीक्षण करने पर बालिकाओं की आयु 18 वर्ष से कम पाए जाने पर दोनों पक्षों से निवेदन कर पंचनामा तैयार कर बाल विवाह रोका गया। इस मौके पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मचारी, पर्यवेक्षक तथा किशोर पुलिस इकाई मौजूद थे।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष टीम द्वारा कुल 14 बाल विवाह रोका गया है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता सगे संबंधी बराती एवं विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात् विवाह को स्वीकार नही करते है तो बालिग होने के पश्चात् विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है। बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु-मृत्यु दर एवं मातृ-मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है। समाज में व्याप्त इस बुराई के पूर्णतः उन्मूलन हेतु जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकाय तथा पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयं सेवी संगठनों एवं आमजनों से सहयोग प्राप्त करके ही इस कुप्रथा के उन्मूलन हेतु कारगर कार्यवाही की जा सकती है।