पूजा पद्धति पर विवाद व्यर्थ मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि लोगों की पूजा के तरीके अलग हो सकते हैं, लेकिन यह महसूस किया जाना चाहिए कि लक्ष्य एक ही है. उन्होंने पूजा पद्धति पर विवाद को व्यर्थ बताया.
हिंदू धर्म के चार वेदों में से एक सामवेद के उर्दू अनुवाद के विमोचन अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि पूजा-पद्धति किसी धर्म का एक अंग होता है. यह किसी धर्म का संपूर्ण सत्य नहीं होता है. अंतिम सत्य हर धर्म का मूल होता है और सबको उसे प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सबको अपना रास्ता सही दिखाई पड़ता है, लेकिन यह समझना चाहिए कि इन सभी मार्गों का अंतिम लक्ष्य एक सत्य को ही प्राप्त करना होता है.
लाल किला के 15 अगस्त पार्क में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि सनातन धर्म में आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के ज्ञान के बिना ज्ञान को पूर्ण नहीं माना जाता है. वेद सूत्र वाक्य की तरह होते हैं, उनके संपूर्ण अर्थ को समझने के लिए उपनिषद जैसी अन्य रचनाओं की आवश्यकता होती है. हमें इनका अध्ययन करना चाहिए जिससे हम उनके मूल संदेशों को समझ सकें. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने कहा कि वेदों के सही अर्थ पाने के लिए अनुभूति चाहिए.