नई दिल्ली. दिल्ली के होलंबी कलां इलाके में देश का पहला ई-कचरा पार्क तैयार होगा. जहां पुराने मोबाइल, चार्जर, ब्लू टूथ से लेकर तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण कर उनमें से कीमती धातुएं निकाली जाएंगी. इस पार्क को बनने में लगभग 23 महीने का वक्त लगेगा.
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शुक्रवार को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और विभाग के साथ बैठक की. उन्होंने बताया, राजधानी में प्रतिवर्ष लगभग दो लाख टन ई-कचरा पैदा होता है जो पूरे भारत में पैदा होने वाले ई-कचरे का लगभग 9.5 फीसदी है. ई-कचरे की यह एक बहुत बड़ी मात्रा है जिसका सही से निस्तारण जरूरी है.
महज पांच फीसदी सही से रिसाइकल होता है
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि ऐसा देखने में आया है कि पूरे देश में पैदा होने वाले ई-कचरे का सिर्फ पांच फीसदी को ही सही तरीके से रिसाइकल किया जाता है. इसे देखते हुए सरकार भारत का पहला ई-कचरा पार्क होलंबी कलां में बनाएगी. राय ने बताया कि पार्क के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए 11 सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया गया है. डीएसआईआईडीसी को इसकी क्रियान्वय एजेंसी बनाया गया है. साथ ही संबंधित विभागों को निर्देश दिया गया है कि ई-कचरा पार्क के निर्माण के लिए जल्द से जल्द कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाए ताकि इसके निर्माण कार्य तेजी से हो सकें.
ई-कचरा पैदा करने में दिल्ली पांचवें स्थान पर
ई-कचरा पैदा करने के मामले में दिल्ली भारत में पांचवें स्थान पर है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में दिल्ली से ज्यादा निकलता है ई-कचरा निकलता है. पुराने मोबाइल फोन, चार्जर, ब्लू टुथ उपकरण, ईयर फोन से लेकर तमाम उपकरण ऐसे हैं जो पुराने पड़ने के बाद ई-कचरे में तब्दील हो जाते हैं. इन उपकरणों में अलग-अलग किस्म की कीमती धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है. कचरे के तौर पर हमारे घर से बाहर निकलने के बाद वे आमतौर पर ऐसी जगह पहुंचते हैं जहां पर बहुत ही अवैज्ञानिक तरीके से इन धातुओं को गलाया जाता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है.