चुनावी बांड योजना से विपक्ष को समान अवसर नहीं कोर्ट

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए शुरू की गई चुनावी बांड योजना पर कई सवाल उठाए. संविधान पीठ ने कहा कि ‘यह विपक्षी दलों को समान अवसर नहीं देती है.

संविधान पीठ ने सवाल किया कि ‘क्या चुनावी बांड योजना विपक्षी दलों के लिए नुकसानदेह है? क्योंकि सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के पास विपक्षी दलों को चंदा देने वालों की गोपनीय जानकारी का पता लगाने के कई तरीके हो सकते हैं, लेकिन विपक्षी दलों के पास नहीं.

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है. संविधान पीठ ने इस बात पर चिंता जताई कि विपक्षी राजनीतिक दलों के पास दान देने वालों की जानकारी तक समान पहुंच नहीं हो सकती है, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है. पीठ ने चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दूसरे दिन चुनावी बांड योजना के प्रावधानों पर कई सवाल उठाए.

पीठ ने कहा कि क्या दलों को दान देने वालों की जानकारी की ऐसी ‘चयनात्मक’ गोपनीयता राजनीतिक खेल के मैदान को खराब कर सकती है? जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘सत्ताधारी दल के पास दान देने वालों की जानकारी प्राप्त करने के तरीके और साधन हैं और इसके जरिए वह आसानी से पता लगा सकते हैं कि विपक्षी दलों को कहां से चंदा मिला.’

उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट तौर पर कह रहे हैं, डर इस बात का है कि इस योजना के तहत इस चयनात्मक गोपनीयता के कारण, विपक्षी दलों को पता नहीं चलता कि सत्ताधारी दल को दान देने वाला कौन है.

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