रामायण की ‘सीता’ दीपिका चिखलिया को भी नहीं भाया ‘आदिपुरुष’ का टीजर, की खिंचाई

फिल्म निर्माता ओम राउत की रामायण पर आधारित बड़े बजट की फिल्म ‘आदिपुरुष’ हमारी पौराणिक कथाओं से बहुत अलग अनुभूति कराती है. यह बात हम नहीं बल्कि वो कलाकार कह रहे हैं जिन्हें राम और सीता के रूप में लोगों ने अपने दिल में बसाया है. जी हां! यह बात रामानंद सागर निर्मित टीवी धारावाहिक ‘रामायण’ की टीम ने कही है.

रामानंद सागर निर्मित टीवी धारावाहिक ‘रामायण’ की टीम ने ‘आदिपुरुष’ के टीजर पर बात की है. सत्य और असत्य से जुड़ी सदियों पुरानी इस कथा के पर बनी इस फिल्म में हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण और कम्प्यूटर बनी छवि की क्वालिटी के कारण बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है.

‘सीता’ बोलीं- हो सकता है फिल्म अच्छी हो

‘आदिपुरुष’ का टीजर पिछले हफ्ते जारी किया गया था. ‘रामायण’ में सीता का किरदार निभाने वालीं दीपिका चिखलिया ने मीडिया से कहा, “मैंने टीजर देखा, यह उस ‘रामायण’ से बहुत अलग है जिसे हमने देखा था और मुझे पता है कि भारत के लोग इसके साथ बड़े हुए हैं. निश्चित तौर पर तकनीक का होना शानदार बात है, लेकिन मुझे लगता है कि यह उस युग को नहीं दर्शाती जिसमें वास्तविक रामायण घटित हुई.” उन्होंने कहा कि आदिपुरुष की दुनिया एलियन (दूसरे ग्रह के प्राणी) की दुनिया है, जिसमें बाहुबली फेम कलाकार प्रभास ने भगवान राम की भूमिका निभाई है. हालांकि चिखलिया ने उम्मीद जताई कि आदिपुरुष शानदार फिल्म साबित हो सकती है.

अरुण गोविल ने दी प्रतिक्रिया

‘आदिपुरुष’ के टीजर ने तमाम लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत की हैं. लोग हर दिन मेकर्स पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा रहे हैं. अब अरुण गोविल ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उनसे कुछ दिन पहले ही बात करने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था. अरुण गोविल ने अब एक यूट्यूब चैनल पर अपना वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि, ‘बहुत वक्त से मेरे दिमाग में बहुत सारी बातें चल रही थीं, जिन्हें आपसे शेयर करने का समय आ गया है.’

उन्होंने आगे कहा कि, ‘रामायण और महाभारत जैसे जितने भी ग्रंथ और शास्त्र हैं, ये हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है. ये हमारी संस्कृति है, जड़ है. सारी मानव सभ्यता के लिए एक नींव के समान है. ना ही नींव को हिलाया जा सकता है और ना ही जड़ को बदला जा सकता है. नींव या जड़ के साथ किसी तरह का खिलवाड़ या छेड़छाड़ ठीक नहीं है. हमें शास्त्रों से संस्कार मिले हैं, जीने का आधार मिलता है. ये धरोहर ही हमें जीने की कला सिखाती हैं. हमारी संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है.’ अरुण गोविल ने बात करते हुए कहा कि, ‘जब ढाई साल पहले कोरोना आया था, तो उसने हमारी धार्मिक मान्यताओं को मजबूत कर दिया. कोरोना के दौरान जब रामायण का प्रसारण हुआ, तो उसने विश्व रिकॉर्ड बनाया. ये हमारी मान्यताओं और परंपरा का बहुत बड़ा संकेत है. 35 साल पहले बनी ‘रामायण’ को हमारी युवा पीढ़ी ने पूरी श्रद्धा और आस्था से देखा.’

फिल्म का नाम आदिपुरुष क्यों?

बीते दिन कुछ पत्रकारों को फिल्म आदिपुरुष का 3डी टीजर दिखाया गया, जिसे पसंद किया गया. इस दौरान ओम राउत से सवाल पूछा गया कि फिल्म का नाम आदिपुरुष ही क्यों रखा गया.. रामायण या फिर मर्यादापुरुषोत्तम राम आदि क्यों नहीं? इस पर ओम कहते हैं, ‘अगर आप ध्यान दें तो हमारी रामायण ऐसी नहीं है जिसे आप सिर्फ 3 घंटे में खत्म कर सकें. रामायण में प्रभु राम के साथ ही साथ मां सीता और अन्य सभी की भी जिंदगी से रूबरू करवाया गया है और सिर्फ तीन घंटे में ऐसा करना मुश्किल है. इसलिए फिल्म में सिर्फ एक ही भाग पर ज्यादा फोकस है और वो है सीता मां के हरण से रावण वध तक. रामायण को जिस नजर से ओम राउत 10 साल पहले देखता था, आज वैसे नहीं देखता और शायद आने वाले दस साल बात मेरा नजरिया अलग हो. ये शायद सभी के साथ है, तो जिन राम को मैं फिल्म में देख और दिखा रहा हूं, वो पराक्रमी हैं, उत्तम से भी उत्तम हैं, गुणों में सर्वोत्तम हैं. तो यहां पर फिल्म में आदि का मतलब शुरुआती नहीं बल्कि सर्वोपरी है.

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