दिल्ली हाईकोर्ट में बीते दिनों अनोखा मामला सामने आया. हाईकोर्ट ने न केवल दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराने वाली एक महिला को सजा दी, बल्कि जिस व्यक्ति पर दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था, उसे भी सोशल सर्विस करने की सजा सुना दी. यह फैसला न्यायिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है.
जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली के रोहिणी इलाके में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द किया है. मगर इस समझौते नामा से खुलासा हुआ कि महिला ने रुपयों के लेन-देन को लेकर एक व्यक्ति हिमांशु गोयल पर दुष्कर्म का झूठा केस दर्ज कराया था. कोर्ट ने महिला को आदेश दिया कि वह रोहिणी के सेक्टर 5 स्थित नेत्रहीन विद्यालय में दो महीने तक प्रतिदिन 3 घंटे सप्ताह में 5 दिन समाज सेवा करेगी. उसे सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने हिमांशु गोयल के खिलाफ बाहरी दिल्ली के शाहबाद डेयरी थाना में दर्ज केस को रद्द करते हुए उसे आदेश दिया कि वह रोहिणी क्षेत्र में होट्रीकल्चर विभाग के निर्देश पर 50 पेड़ लगाएगा. हर पेड़ की नर्सरी की उम्र कम से कम 3 साल होनी चाहिए. इतना ही नहीं वह पांच साल तक उन पेड़ों की निगरानी व देखभाल भी करेगा.
आरोप लगाने के बाद महिला ने समझौता कर लिया था
एक महिला ने दिल्ली के शाहबाद थाना में 27 अप्रैल 2022 को हिमांशु गोयल नामक एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था. महिला का कहना था कि हिमांशु ने उसे एक कोल्ड ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया. बेहोश हो गई तो हिमांशु ने उसके साथ दुष्कर्म किया. इस मामले में महिला ने आरोपी से समझौता कर लिया. समझौते के आधार पर हिमांशु गोयल ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर उसके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के केस को रद्द करने की मांग की थी.