भोजन की बर्बादी रोकी जाए प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र एक उभरते हुए उद्योग के रूप में सामने आया है. पिछले नौ वर्षों में इसने 50,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है. साथ ही उन्होंने फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और भोजन की बर्बादी को कम करने पर भी जोर दिया.

मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में प्रसंस्कृत खाद्य का निर्यात 150 प्रतिशत बढ़ा है. घरेलू प्रसंस्करण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की क्षमता भी मात्र 12 लाख टन से बढ़कर 200 लाख टन से अधिक हो गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी के भारत मंडपम में ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए बाजरा के सेवन के लाभों पर भी बात की. सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्य टोकरी के विविधीकरण की वकालत की. कार्यक्रम पांच नवंबर को संपन्न होगा.

किसानों का समर्थन मोदी ने कहा, पिछले नौ वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपये का एफडीआई आया है. यह सरकार की उद्योग समर्थक और किसान समर्थक नीतियों का परिणाम है. उन्होंने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और मेगा फूड पार्कों की स्थापना जैसे कुछ उपायों पर प्रकाश डाला, जो उनकी सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए उठाए हैं. मोदी ने कहा, कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात की हिस्सेदारी 13 से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है.

फूड स्ट्रीट का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को प्रारंभिक पूंजी सहायता वितरित की और वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के तहत एक फूड स्ट्रीट का उद्घाटन किया. इस आयोजन का उद्देश्य भारत को दुनिया की खाद्य टोकरी के रूप में प्रदर्शित करना और 2023 को मोटे अनाज के अंतरराष्ट्रीय वर्ष के रूप में मनाना है.

 

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