पहली बार आर्मी की आर्टिलरी में 5 महिला ऑफिसर तैनात

सेना की युद्धक शाखाओं में महिला अफसरों को नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. शनिवार को पांच महिला अफसरों को युद्धक शाखा तोपखाना (आर्टिलरी) रेजीमेंट में कमीशन दिया गया. पांचों लेफ्टनेंट के पद पर नियुक्त हुई हैं. सूत्रों ने बताया कि तीन महिला अधिकारियों को चीन से सटी सीमाओं पर तैनात टुकड़ियों में नियुक्त किया गया है. वहीं,दो अन्य महिला अधिकारियों को पाकिस्तान के साथ अग्रिम सीमा के समीप चुनौतीपूर्ण स्थानों पर तैनात किया गया है.
कुछ साल पूर्व वायुसेना में महिला उम्मीदवारों को लड़ाकू विमान पायलट के रूप में तैनाती दी गई थी. अब सेना में महिला अफसरों की युद्धक भूमिका में तैनाती दूसरा महत्वपूर्ण कदम है. सैन्य सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना ने पहली बार अपनी तोपखाना रेजीमेंट में पांच महिला अधिकारियों को शामिल किया है. इनमें लेफ्टिनेंट महक सैनी, लेफ्टिनेंट साक्षी दुबे, लेफ्टिनेंट अदिति यादव और लेफ्टिनेंट पायस मुदगिल शामिल हैं. इन सभी ने शनिवार को चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) में अपना प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर सेना में कमीशन प्राप्त किया. एक अधिकारी ने बताया कि लेफ्टिनेंट सैनी को एसएटीए रेजिमेंट में, लेफ्टिनेंट दुबे और लेफ्टिनेंट यादव को फील्ड रेजिमेंट में, लेफ्टिनेंट मुदगिल को एक मध्यम रेजिमेंट में और लेफ्टिनेंट आकांक्षा को एक रॉकेट रेजिमेंट में शामिल किया गया है. इन अफसरों को तोपखाना रेजीमेंट से जुड़ी सभी शाखाओं में बारी-बारी से तैनात किया जाएगा.
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी संघर्ष में शहीद होने वाले बिहार रेजीमेंट के नायक दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने सेना में बतौर अफसर कमीशन प्राप्त किया है. 29 वर्षीय रेखा को सैन्य आयुध कोर में लद्धाख में तैनाती मिली है. जिस क्षेत्र में पति की शहादत हुई, वहीं अब पत्नी अफसर बनकर मोर्चा संभालेंगी. अगले कुछ दिनों में वह लद्दाख में पहुंच जाएंगी.
शादी के आठ माह बाद ही हो गए थे शहीद सैन्य सूत्रों ने बताया कि नवंबर 2019 में रेखा सिंह का विवाह दीपक सिंह के साथ हुआ था. विवाह के करीब आठ महीने के भीतर ही 15 जून 2020 को हुए गलवान घाटी संघर्ष में दीपक शहीद हो गए.
दीपक सेना मेडिकल कोर से थे, जो 16वीं बिहार रेजीमेंट से अटैच किए गए थे. गलवान संघर्ष के दौरान वे अंतिम सांस तक अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे. शहीद होने से पूर्व उन्होंने 30 घायल जवानों का इलाज कर उनकी जान बचाई थी. उन्हें इस बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र भी दिया गया है. इस हादसे से उबरने के बाद रेखा ने पढ़ाई पूरी की और सेना में अफसर बनने के लिए तैयारी की. परमवीर चक्र और महावीर चक्र के बाद वीर चक्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा युद्धकालीन सैन्य सम्मान है.
2022 में वह यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुई. इसके बाद एसएसबी साक्षात्कार के जरिये उनकी नियुक्ति हुई. शनिवार को ओटीए, चेन्नई में उनका प्रशिक्षण पूरा हुआ और बतौर लेफ्टिनेंट उन्होंने सेना में कमीशन प्राप्त किया. रेखा सिंह मध्य प्रदेश के रीवा की निवासी हैं. मालूम हो कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे.