नई दिल्ली . रेलवे ट्रैक के किनारे भूमि पर अवैध निर्माण अथवा झुग्गियों के जरिए अतिक्रमण करना आसान नहीं होगा. रेलवे ने देशभर में फैली भूमि की जियो मैपिंग का काम पूरा कर लिया है. रेलवे अपनी समूची भूमि की ऑनलाइन निगरानी कर सकेगा. इससे सेमी हाई स्पीड पर ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी.
वहीं, दीर्घकालिक पट्टे पर भूमि देकर व्यवसायिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकेगा. रेलवे चार लाख 85 हजार 857 हेक्टयेर भूमि के मालिकाना हक के साथ सरकारी महकमों में दूसरे स्थान पर है. पहले स्थान पर सेना के पास सबसे अधिक भूमि उपलब्ध है. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भोगौलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से रेलवे भूमि का डिजिटलीकरण किया गया है. इस काम को सेंटर फॉर रेल सूचना प्रणाली केंद्र (क्रिस) की मदद से पूरा किया गया. उन्होंने बताया कि रेलवे के पास मौजूद कुल भूमि में 783 हेक्टेयर पर अतिक्रमण है जबकि 62 हजार 68 हेक्टेयर भूमि खाली पड़ी है.
फील्ड में सर्वे की जरूरत खत्म
अधिकारी ने बताया कि खाली भूमि पर अगले पांच वर्ष में 300 कार्गो टर्मिनल विकसित किए जाएंगे. इसके अलावा रेलवे भूमि का ऑप्टिकल फाइबर, अस्पताल, केंद्रीय विद्यालय आदि के निर्माण में इस्तेमाल करने की योजना है. जियो मैपिंग से फील्ड में सर्वे की जरूरत नहीं होगी. इससे डीपीआर की सटीकता का आकलन, भूमि अतिक्रमण, एडवांस योजना, नए रेल एलाइनमेंट आदि कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सकेगा.
दिल्ली में 30 किलोमीटर ट्रैक पर अवैध कब्जा
रेलवे के आंकड़ों के अनुसार उत्तर रेलवे (एनआर) की जमीन पर सर्वाधिक 175 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण है. इसमें दिल्ली में लगभग 30 किलोमीटर से अधिक रेलवे ट्रैक पर अवैध कब्जा है. इसी प्रकार मुरादाबाद, कानपुर, इलाहाबाद आदि शहरों मे रेल जमीन पर अतिक्रमण है. दूसरे स्थान पर दक्षिण पूर्व रेलवे (एससीआर) में 141 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा है. इसके अलावा पूर्वोत्तर सीमा रेलवे में 94 हेक्टेयर, मध्य रेलवे में 56 हेक्टेयर सहित सभी 17 जोनल रेलवे में भूमि पर अतिक्रमण है. रेलवे के कारखानों के आसपास 5.72 हेक्टेयर जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है.