चावल की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने एक के बाद एक कई ऐलान किए हैं, जिसमें निर्यात पर प्रतिबंध से लेकर कई अन्य किस्म के चावलों पर एक्सपोर्ट ड्यूटी जैसे फैसले शामिल हैं. इन कदमों के बाद उम्मीद है कि चावल की घरेलू सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आ सकती है. भारत सरकार ने ये कदम मॉनसून की अनियमित बारिश के बुवाई पर असर को देखते हुए उठाया है. कोविड के बाद खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के बीच चावल की कीमतों में ही स्थिरता देखने को मिली थी हालांकि अब इसमें बढ़त देखने को मिल रही है.
इस साल भारत में मानसून की अनियमित बारिश देखने को मिली है. देश के कुछ राज्यों में कम बारिश हुई है. जिससे चावल की बुवाई पर प्रतिकूल असर पड़ा है. चालू खरीफ वर्ष में चावल की बुवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले 6 प्रतिशत तक घट गया है.इससे उत्पादन भी घटने का अनुमान है. भारत ने साल 2021-22 में 2.12 करोड़ टन चावल का निर्यात किया था.
सरकार ने आज से टोटा चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार के मुताबिक अब सिर्फ उन कंसाइन्मेंट के एक्सपोर्ट की इजाजत होगी जिनकी लोडिंग और बिलिंग हो चुकी है और जो पोर्ट पर कस्टम के सुपुर्द कर दिया गया है. इस कदम से घरेलू बाजार में चावल की सप्लाई बढ़ जाएगी जिससे कीमतों में आया उछाल घटने का अनुमान है. वहीं दूसरे अन्य कदमों से भी चावल की अन्य ग्रेड के लिए एक्सपोर्ट महंगा हो जाएगा और इससे भी घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ेगा और कीमतों में नरमी देखने को मिलेगी.