भारत अनिद्रा की बीमारी जूझता दुनिया का दूसरा देश

हर एक इंसान नींद की जरुरत होती है. जो कि आज की लाइफस्टाइल में दिन-ब-दिन कम होती जा रही है. हाल ही में एक सर्वे के आधार इस बात कि जानकारी मिली है.

बदलते मौसम का हमारी नींद पर पड़ता है असर

सर्दियों के मौसम में हमे धूप काफी अच्छी लगती है लेकिन जैसे जैसे सर्दियां कम होने लगती है धूप की तपिश बढ़ने लगती है. क्या आप जानते है मौसम बदलने पर भी हमारे स्लीपिंग पैटर्न को भी बदलना पड़ता है क्योकि इस मौसम के साथ हमारा एनर्जी लेवल भी बदलता है. ऐसे में दिसंबर 2022 में मेडिकल न्यूज के मुताबिक साल के चार मौसमों में इंसानो की नींद पैटर्न का अध्ययन किया गया है.

गर्मियों में कम और सर्दियों में ज्यादा नींद चाहता है शरीर

एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला है कि गर्मियों के मौसम में हमरा शरीर अधिक मेलाटोनिन रिलीज करता है जिसका मतलब है गर्मियों के मौसम में आप देर से सोना और जल्दी उठाना पसंद करते है. ऐसा ज्यादा रौशनी कि वजह से भी होता है. यानी हमारा शरीर सर्दियों की तुलना में गर्मियों में जल्दी थक जाता है. बदलते मौसम के अनुसार शरीर अपने नेचुरल रिस्पॉन्स को एडजस्ट करता है. सर्दियों के महीने में रातें अधिक ठंडी और अंधेरी होती हैं. सनलाइट की कमी से विटामिन-डी लेवल में भी कमी आ सकती है. यह विटामिन सोने और जागने के समय और मेटाटोनिन हार्मोन का शरीर में स्तर ठीक करने के काम में भी आता है. इसकी कमी से थकावट हो सकती है. लेकिन वातावरण के टेंपरेचर का नींद की क्वालिटी पर भी असर पड़ता है, सर्दियों में ठंडी हवा आपको बेहतर नींद लेने में मदद करती है.

नींद के चार चरण: स्ट्रेस, कैफीन और दवाइयां नींद की दुश्मन

इस सर्वे के अनुसार चार मौसमों की तरह ही चार ‘स्लीप साइकिल स्टेज’ होती हैं. यानी नींद के भी चार चरण होते हैं, जो हल्की और गहरी नींद के होते हैं. हर चरण में नींद का अनुभव जिसे स्लीप एक्सपीरियंस कहते हैं, अलग होता है. हर स्टेज का हमारी बॉडी पर अलग प्रभाव पड़ता है. लेकिन हर स्टेज में नींद गहरा और अच्छा होना अहम है. इन चार चरणों पर कई बातों का असर पड़ सकता है; जैसे स्ट्रेस, कैफीन और कुछ दवाइयां आदि.

नींद के चार चरण

चरण 1 – जागते से सोने की हालत में एंट्री करने से है

चरण 2 – आप हलकी नींद में सोते है.

चरण 3 – आप गहरी नींद में होते है.

चरण 4 – जब आप हिलते-डुलते नहीं और सपने आते है.

इस नए अध्ययन के बाद 2016 की स्टडी पर भी गौर चाहिए जो यह बताती है कि नींद पूरी न होने पर हमारे अंदर पैदा हुई थकान और सुस्ती हमें किस तरह नुकसान पहुंचा सकती है.

इन देशो को अनिंद्रा से हुआ भारी नुकसान

जापान – 2.92 %, अमेरिका – 2.28%, ब्रिटेन- 1.86%, कनाडा – 1.35 %

अधूरी नींद किसी देश के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि नींद की कमी के चलते अमेरिका को जितना घाटा हुआ है उतना हमारे देश का निर्यात है. यानी अगर ये घाटा हमारे देश में होता तो हम किसी भी देश को कुछ नहीं बेच पाते.

16 घंटे से 8 घंटे, नींद कैसे घट गई

नींद पर रिसर्च करने वाले यूनिवर्सिटी ने नवंबर 2022 में मीडिया रिपोर्ट को बातचीत में बताया, ‘मैंने करीब 7 महीने तक रातों को जागकर काम किया है.’ डेविड सैमसन जीव विज्ञानी हैं और वो नींद के रहस्य को समझने के लिए दूर-दराज के इलाकों तक जाते हैं. वनमानुषों को 9 से 16 घंटे सोता देखकर डेविड सैमसन ने एक मॉडल तैयार किया. इस मॉडल के हिसाब से डेविड बताते हैं, ‘इंसानों के लिए 24 घंटे में 10.30 घंटे की नींद लेनी जरूरी है. लेकिन, हम ऐसा नहीं करते. हम औसतन छह या सात घंटे की ही नींद लेते हैं.’ डेविड की रिसर्च में यह भी सामने आया कि वनमानुषों के मुकाबले इंसान सोते कम जरूर हैं लेकिन उनकी नींद ज्यादा गहरी होती है, इसलिए इंसानों का काम कम नींद से भी चल जाता है.

नींद की कमी से नुकसान

दिल की बीमारी

वजन बढ़ना

डायबिटीज

हार्मोन असंतुलन

इम्युनिटी की कमी

मानसिक बीमरियां

मोबाइल और टीवी स्क्रीन की ब्लू लाइट ले उड़ी हमारी नींद

मोबाइल और टीवी की स्क्रीन ने हमारी नींद को कम किया है इनमें एलईडी भी शामिल हैं. नींद पर की गई रिसर्च से पता चलता है कि नीली रोशनी रात के वक्त मेलाटोनिन हॉर्मोन को निकलने से रोकती है. ये हॉर्मोन ही हमें सोने के संकेत देता है. इसके अलावा ये प्रेशर भी रहता है कि हम भी ज्यादा काम करें और सोएं कम.

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