करौली बाबा ने मारपीट के आरोप नकारे

सुबह से शाम तक करौली बाबा के खिलाफ रिपोर्ट की जांच कर रही पुलिस रात में बाबा के बयान दर्ज कर सकी. वरिष्ठ अधिकारियों ने विवेचक को रात में फिर से लवकुश आश्रम पूछताछ करने के लिए भेजा.
इस बार बाबा से पूछताछ संभव हो सकी. बाबा ने नोएडा के डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी के साथ मारपीट की घटना को गलत बताया और आरोपों को नकार दिया. पुलिस ने उनसे सीसीटीवी फुटेज मांगे, जो उन्होंने नहीं दी.
विवेचक अरविंद कुमार सिंह दोपहर में आश्रम पहुंचे, लेकिन डॉ. संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली सरकार से मुलाकात नहीं हुई. वह खानापूर्ति करके लौट आए. अफसरों के पास यह सूचना पहुंची कि बाबा के बयान दर्ज नहीं हो सके हैं. तब डीसीपी साउथ ने दोबारा विवेचक को रात में ही आश्रम जाने के निर्देश दिए.
पुलिस ने बताया कि आश्रम से सीसीटीवी फुटेज लेने का प्रयास जारी है. वहां 14 दिन का बैकअप ही कैमरे में है और घटना 22 फरवरी की है. सवाल यह भी है कि अगर बैकअप नहीं है तो घटना के फुटेज का एक हिस्सा बाबा ने अपनी सफाई में कैसे जारी कर दिया.
पीड़ित के अनुसार बाबा ने मुझसे परेशानी और आने का कारण पूछा था. मैंने बाबा को बताया कि मैंने आपका बहुत नाम सुना है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी आप के चमत्कार के बारे में जानकारी जुटाई है. मैं जिज्ञासावस अपने अपने परिवार के कल्याण और बाबा का चमत्कार देखने के लिए परिवार समेत नोएडा से आया हूं. यह सुनकर करौली सरकार काफी खुश हुए थे. करौली सरकार ने चमत्कार के उद्देश्य से माइक पर फूंक मारते हुए ओम शिव बैलेंस बोला, लेकिन इसका मुझपर कोई असर नहीं हुआ. मैंने यह बात बाबा को बताई, तो बाबा ने दोबारा फूंक मारते हुए ओम शिव बैलेंस बोला. लेकिन बाबा का यह प्रयास भी मुझपर चमत्कार करने में विफल रहा. जब मैंने यह बात बाबा को बताई, तो वो भड़क गए. पगलैट कहते हुए अपने सेवादारों की तरफ इशारा किया. बाबा के सेवादारों ने मुझे बलपूर्वक वहां से घसीटकर हटा दिया.
आश्रम में जाना सबसे बड़ी गलती डॉक्टर
कानपुर के बिधनू स्थित करौली सरकार आश्रम में मारपीट से घायल हुए नोएडा के सेक्टर-48 में रहने वाले पीड़ित डॉ. सिद्धार्थ चौधरी ने कहा कि आश्रम में जाना उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती थी.
एक महीने बाद भी वह और उनका परिवार आश्रम में हुए अत्याचार को नहीं भुला सका है. उन्होंने ऐसे किसी बाबा के चक्कर में नहीं आने की अपील करते हुए कहा कि ये लोगों के भय और मजबूरी का फायदा उठाते हैं.