राष्ट्रराजनीति

दशहरा को लेकर उद्धव-एकनाथ गुट आमने-सामने, जानें शिवतीर्थ रैली की किसे मिलेगी इजाजत?

मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बीच में सियासी घमासान छिड़ने वाला है. नई बनाम पुरानी शिवसेना की जंग की आंच शिवतीर्थ (Shivtirth) में होने वाली शिवसेना (Shiv Sena) की रैली पर भी पड़ने वाला है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को उम्मीद है कि शिवाजी पार्क में रैली करने की इजाजत उन्हें ही मिलेगी.

शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को बांद्रा कुर्ला परिसर (BKC) में रैली करने की मंजूरी मिल गई है.अब उसके लिए मुंबई के शिवाजी पार्क में वार्षिक दशहरा रैली की इजाजत आसानी से मिल सकती है.

दोनों दलों ने ठोकी थी रैली के लिए दावेदारी

शिवसेना के दोनों गुटों ने ऐतिहासिक शिवाजी पार्क में अपनी-अपनी रैलियां आयोजित करने का दावा पेश किया था. दोनों पक्षों ने बारी-बारी से अगले महीने दशहरे पर BKC के MMRDA मैदान में अपनी-अपनी रैलियां आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन किया था.

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एकनाथ शिंदे धड़े को बीकेसी में रैली करने की मंजूरी मिल गई है. शिवाजी पार्क मैदान को लेकर बीएमसी की ओर से कोई फैसला नहीं लिया गया है. शिवसेना के सांसद एवं प्रवक्ता अरविंद सावंत ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट को बीकेसी के एमएमआरडीए मैदान में रैली करने की इजाजत देते वक्त ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के सिद्धांत को लागू किया गया है.

शिवाजी पार्क को शिवतीर्थ बुलाती है शिवसेना

एमएमआरडीए मैदान उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री से कुछ ही दूरी पर स्थित है. अरविंद सावंत ने यह भी कहा है कि ठाकरे गुट के लिए ‘शिवतीर्थ’ में वार्षिक रैली आयोजित करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता. शिव सेना शिवाजी पार्क के लिए ‘शिवतीर्थ’ शब्द का इस्तेमाल करती है.

अगर नहीं मिली इजाजत तो क्या करेगी शिवसेना?

शिवाजी पार्क के लिए अनुमति से इनकार करने की स्थिति में पार्टी की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर, अरविंद सावंत ने कहा कि शिवसेना देखेगी कि उसके बाद क्या किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि BMC ने अभी तक उन्हें शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति नहीं दी है.

क्यों उद्धव गट को अब आसान लग रही है राह?

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक अरविंद सावंत ने कहा कि अब हमारे लिए शिवाजी पार्क के लिए मंजूरी हासिल करना आसान हो जाएगा. शिंदे गुट को’पहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर अनुमति मिली. इसलिए, शिवाजी पार्क के लिए यही सिद्धांत हम पर भी लागू होता है.

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