ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते खतरे के बीच अब मायानगरी मुम्बई को लेकर वैज्ञानिकों ने चिन्तानक भविष्यवाणी की है. यूनाइटेड नेशन की संस्था IPCC की एक रिपोर्ट की माने तो साल 2050 तक मुम्बई के ज्यादातर हिस्सों को समुंदर निगल सकता है. मरीन ड्राइव से लेकर जुहू चौपाटी तक बने बड़े -बड़े 5 सितारा होटल और कॉरपोरेट ऑफिस समुंदर में हमेशा के लिए विसर्जित हो जाएंगे. वैज्ञानिकों ने आने वाले खतरे के लिए अभी से अलर्ट कर दिया है.
UN की एक संस्था IPCC के Sixth Climate Assessment रिपोर्ट के आधार पर ये माना जा रहा है कि साल 2050 तक समुन्दर किनारे बसे भारत के कई महत्वपूर्ण शहर पानी में डूब जाएंगे. साथ ही इसका असर आने वाले 8 साल में यानी साल 2030 तक दिखाई भी देने लगेगा.
हीटवेब, तूफ़ान जैसी प्राकृतिक आपदाएं अब और भयंकर रूप लेंगी और तबाही मचाएंगी. IPCC की रिपोर्ट में ये साफ़ कर दिया गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की सबसे बड़ी वजह कार्बन डायऑक्साइड (Carbon dioxide) ही है. सभी ग्रीनहाउस गैस एमिशन्स (Greenhouse Gas Emissions) में कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा सबसे अधिक है. पृथ्वी के बढ़ते तापमन की वजह से समुद्र के पानी की स्तर बढ़ेगा और पृथ्वी के तटवर्ती इलाके डूब जाएंगे.
(Greenland) में जब बर्फ़ पिघलती है या फिर आर्कटिक (Arctic) का तापमान सामान्य से ज़्यादा गर्म दर्ज किया जाता है तब वैज्ञानिक पृथ्वी पर इसके दुष्प्रभाव की गणना करते हैं. ऑनलाइन सिमुलेशन्स (Online Simulations) में ये पता चला है कि पृथ्वी के तटवर्ती शहरों पर बहुत बड़ा संकट मंडरा रहा है और ये शहर कुछ साल में पानी में समा सकते हैं.
Climate Change पर रिसर्च करने वाली RMSI नाम की संस्था ने इसी साल जुलाई में एक स्टडी की थी. इस स्टडी में जो सामने आया है वो बेहद खतरनाक है. इस स्टडी में ये कहा गया है कि साल 2050 तक मुम्बई के कई आइकोनिक ठिकाने समुंदर में समा जाएंगे.
RMSI की स्टडी की माने तो मुम्बई का हाजी अली दरगाह, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT), बांद्रा वर्ली सी लिंक के अलावा वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे भी डूबने के कगार पर होगा.
समुंद्र के बढ़ते जलस्तर का खतरा सिर्फ मुंबई पर ही नहीं बल्कि देश के उन तमाम शहरों पर है जो समुंदर के पास बासते हैं.मुम्बई के साथ साथ चेन्नई का मरीना बीच भी अगले कुछ सालों में छोटा हो जाएगा.बताया जा रहा है कि साल 2030 तक यानी अगले 8 साल में मुंबई, कोची, बैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम और तिरुअनंतपुरम का तट इलाका भी काफी छोटा हो जाएगा.इन इलाकों में जो समुंदर आज इमारतों से दूर है वो उनके काफी नजदीक पहुंच जाएगा.और साल 2050 तक इन शहरों की हालत और ज्यादा खराब हो जाएंगे.