पहलवान बजरंग पूनिया को झटका लगा है। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) ने उन्हें चार साल के लिए निलंबित कर दिया है। यह कदम उस वक्त उठाया गया जब बजरंग ने मार्च में हुए राष्ट्रीय ट्रायल्स के दौरान अपना डोप सैम्पल नहीं भेजा था। इसके चलते उन्हें अब न तो किसी टूर्नामेंट या ट्रायल में भाग लेने की अनुमति होगी और न ही वे विदेशों में कोचिंग दे पाएंगे।
आइए जानते हैं पूरी घटना की कहानी:
पूरा मामला क्या है?
इस साल 10 मार्च को NADA ने बजरंग को डोप सैम्पल देने का आदेश दिया था, लेकिन बजरंग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद NADA ने यह मामला वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) के पास भेजा। 23 अप्रैल को NADA ने बजरंग को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। बजरंग ने इस निलंबन के खिलाफ अपील की, जिसे NADA के अनुशासनात्मक डोपिंग पैनल (ADPP) ने 31 मई को रद्द कर दिया था।
ADPP का आदेश
ADPP ने अपने आदेश में कहा, “पैनल का मानना है कि बजरंग को अनुच्छेद 10.3.1 के तहत चार साल का प्रतिबंध झेलना होगा। निलंबन की अवधि 23 अप्रैल से शुरू होती है, और इस दौरान वे प्रतिस्पर्धी कुश्ती में वापसी नहीं कर पाएंगे, साथ ही विदेश में कोचिंग देने के लिए भी अप्लाई नहीं कर सकते।”
बजरंग का आरोप
बजरंग ने शुरू से ही यह दावा किया कि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ उनके विरोध प्रदर्शन के कारण उन्हें डोपिंग नियंत्रण में अनियमितता का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें डोप सैंपल देने के लिए एक्सपायरी किट भेजी गई थी, और इस वजह से उन्होंने सही प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी।
कांग्रेस में शामिल हुए बजरंग
इस बीच, बजरंग ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का ऐलान किया था। उन्होंने 23 जून को NADA से नोटिस मिलने के बाद इसे चुनौती दी, और 11 जुलाई को आरोपों के खिलाफ जवाब दिया। इसके बाद 20 सितंबर और 4 अक्टूबर को उनकी सुनवाई हुई।
बजरंग की उपलब्धियाँ
बजरंग ने ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन किया है। टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद, पिछले महीने राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था, जो उनके करियर का लगातार दूसरा स्वर्ण था। उन्होंने अपने हर मुकाबले में शानदार जीत हासिल की थी और कुश्ती की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।