नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी खुशखबरी दी है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस साल जीडीपी दहाई अंकों में बनी रहेगी. जीडीपी में बढ़ोतरी का मतलब यह है कि देश की अर्थव्यवस्था और सुधरेगी. इतना ही नहीं देश में शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ-साथ मूलभूत सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होगी. जीडीपी में बढ़ोतरी बने रहना दर्शाता है कि देश की आर्थिक स्थिति बेहतर है.
जीडीपी में बढ़ोतरी की उम्मीद
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के दहाई अंकों में बने रहने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत मजबूत स्थिति में है. इतना ही नहीं भारत, जरूरतमंद वर्गों को मदद देने के लिहाज से जिम्मेदार भी है. सीतारमण ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में जीडीपी वृद्धि को लेकर सकारात्मक रुख दर्शाया. इस दौरान उन्होंने उन खबरों का हवाला भी दिया जिनमें कहा गया था कि देश में मंदी का खतरा नहीं है.
जानें अर्थव्यवस्था में कितनी हुई बढ़ोतरी
सीतारमण ने इस वर्ष जीडीपी वृद्धि के दहाई अंकों में रहने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर कहा, कहा, ‘मुझे ऐसा होने की उम्मीद है. हम इसके लिए काम करेंगे. यदि आप मंदी की कगार पर नहीं खड़े हैं तो इससे भरोसा मिलता है. जरूरतमंद वर्गों की मदद करने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिहाज से आप लगातार कदम उठा रहे हैं…’ कुछ दिन पहले जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी है.
जानें क्या बोलीं सीतारमण
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ लोग इस उच्च वृद्धि के लिए पिछले साल के निम्न आधार को जिम्मेदार बताने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम जिन अर्थव्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं उनकी तुलना में हम मजबूत स्थिति में हैं. हम वास्तव में सबसे तेजी से वृद्धि करती हुई अर्थव्यवस्था हैं.’ उन्होंने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि भारत से कहीं अधिक विकसित मानी जाने वाली अर्थव्यवस्थाएं इस समय मंदी की कगार पर हैं.
वित्त मंत्री ने दिया ये सुझाव
सरकारों की तरफ से बांटे जाने वाले मुफ्त उपहारों से जुड़े एक सवाल पर सीतारमण ने कहा, ‘हमें इस चर्चा में हिस्सा जरूर लेना चाहिए क्योंकि अगर आप किसी को कुछ नि:शुल्क दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि उसका बोझ कोई और उठा रहा है.’ उन्होंने सुझाव दिया कि सत्ता में आने वाली किसी भी सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के बाद मुफ्त उपहारों के लिए वित्तीय प्रावधान करना चाहिए.