Paralympics: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के धरमबीर ने क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उन्होंने 34.92 मीटर का सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और भारत को पहली बार इस स्पर्धा में स्वर्ण दिलाया। भारत ने इस स्पर्धा का रजत पदक भी जीता, जिसे प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर के प्रयास से प्राप्त किया। धरमबीर की यात्रा आसान नहीं रही; एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी थी, और उनके इस मुकाम तक पहुंचने की उम्मीद कम थी।
इस हादसे का शिकार हुए
धरमबीर का खेल से कोई ताल्लुक नहीं था और वह एक सामान्य जीवन जी रहे थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन, जब धरमबीर अपने गांव के कनाल में तैराकी करने गए, उन्होंने पानी की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया। जैसे ही उन्होंने पानी में छलांग लगाई, नीचे के पत्थरों से टकरा गए। इस हादसे में उनकी कमर में गंभीर चोट आई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां पता चला कि उनकी रीढ़ की हड्डी में भी चोट है। इस घटना ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी, और वह पैरालिसिस का शिकार हो गए। उनके कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद कर गया और उन्हें पता चला कि वह फिर कभी नहीं चल पाएंगे।
पैरा खेलों में जगी दिलचस्पी
2014 में, 25 साल की उम्र में, धरमबीर को पैरा खेलों के बारे में जानकारी मिली। क्लब थ्रो में उनकी दिलचस्पी बढ़ी और उन्होंने इस दिशा में कदम बढ़ाया। उन्हें अपने साथी एथलीट और मेंटर अमित कुमार सरोहा का साथ मिला। क्लब थ्रो, हैमर थ्रो की तरह होता है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के क्लब को जितना दूर फेंक सके, उतना फेंकता है। इस खेल में कंधों और भुजाओं का इस्तेमाल किया जाता है। धरमबीर को इस खेल में मजा आने लगा और उन्होंने इसे अपनी जिंदगी बनाने का निर्णय लिया।
हरियाणा सरकार से सम्मानित हो चुके
धरमबीर ने साल 2016 में रियो पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया, जो उनके करियर की एक महत्वपूर्ण शुरुआत थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में उन्होंने भारत के लिए रजत पदक जीता। 2022 की अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने क्लब थ्रो और डिस्कस थ्रो में दो रजत पदक प्राप्त किए। हरियाणा सरकार ने उन्हें भीम अवॉर्ड से सम्मानित किया, जो राज्य का सर्वोच्च सम्मान है।
धरमबीर ने भारत को दिलाया पांचवां सोना
पेरिस पैरालंपिक के फाइनल में धरमबीर की शुरुआत अच्छी नहीं रही और लगातार चार थ्रो अमान्य हो गए। लेकिन पांचवे प्रयास में उन्होंने शानदार वापसी की और 34.92 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया। छठे प्रयास में उन्होंने 31.59 मीटर का थ्रो किया। धरमबीर ने भारत को पेरिस पैरालंपिक में पांचवां स्वर्ण पदक दिलाया है। इससे पहले, तीरंदाज हरविंदर सिंह ने स्वर्ण पदक जीता था। धरमबीर के स्वर्ण के साथ भारत ने टोक्यो पैरालंपिक में मिले पांच स्वर्ण पदकों की बराबरी कर ली है।
अंक तालिका में 13वें स्थान पर पहुंचा भारत
पेरिस पैरालंपिक में भारत ने अब तक 24 पदक जीते हैं, जिसमें पांच स्वर्ण, नौ रजत, और 10 कांस्य शामिल हैं। इसके साथ ही भारत पैरालंपिक पदक तालिका में 13वें स्थान पर पहुंच गया है। यह संख्या अब तक की सर्वश्रेष्ठ है। टोक्यो 2020 पैरालंपिक में भारत ने 19 पदक जीते थे, और इस साल भारत ने 25 पदकों के लक्ष्य के साथ भाग लिया था। अब भारत ने एक पैरालंपिक खेलों में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया रिकॉर्ड कायम किया है।