प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और उनके नए ब्रिटिश समकक्ष ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के बीच जल्द मुलाकात होगी. यह मुलाकात नवंबर के मध्य में इंडोनेशिया में होने वाली जी-20 लीडरशिप समिट (G-20 Leadership Summit) से इतर होगी. 10 डाउनिंग स्ट्रीट के एक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने दुनिया की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने के लिए दो महान लोकतंत्रों के रूप में एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की. बयान में कहा गया कि दोनों नेता इंडोनेशिया में जी-20 में व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए उत्सुक थे. पीएम नरेंद्र मोदी ने ऋषि सुनक के ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने पर उन्हें 1.6 अरब भारतीयों की ओर से शुभकामनाएं दी.
एफटीए पर दिया जोर
पीएम मोदी उन नेताओं में से एक थे जिन्होंने गुरुवार (27 अक्टूबर) को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ बात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से अभिवादन का आदान-प्रदान किया. प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के जल्द निष्कर्ष की आवश्यकता पर जोर दिया, जो कि पिछले प्रशासन द्वारा दीवाली तक किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन इंग्लैंड में आए राजनीतिक उथल-पुथल के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया.
प्रधानमंत्री सुनक के साथ बातचीत के बाद, पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने ऋषि सुनक से बात करके खुशी हुई. यूके के पीएम के रूप में कार्यभार संभालने पर उन्हें बधाई दी. प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करेंगे. हम एक व्यापक और संतुलित एफटीए के शीघ्र निष्कर्ष के महत्व पर भी सहमत हुए हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए पर मुहर लगनी तय है. इसके मद्देनजर दोनों देश लगातार इस समझौते की अड़चनों को दूर करने में जुटे हैं. अड़चनों को दूर करने के लिए दोनों ही पक्षों के बीच बातचीत लगातार जारी है. चूंकि बृहस्पतिवार को दोनों देशों के पीएम ने इसके प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की है, ऐसे में बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए पर मुहर लगाने की कवायद शुरू हो गई है.
जिनपिंग से फिर दूरी बना सकते हैं पीएम मोदी
हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर जिनपिंग-मोदी की मुलाकात की संभावना जताई जा रही है, मगर सरकारी सूत्र फिलहाल मुलाकात की संभावना से इंकार कर रहे हैं. सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) चीन के लचर रवैये से सरकार खुश नहीं है.
पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी हिंसा के बाद भारत को जल्द से जल्द तनाव कम होने की उम्मीद थी. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में भारत अपनी ओर से सकारात्मक संदेश नहीं देना चाहता. सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस बीच अगर चीन की ओर से विवाद सुलझाने के लिए बड़ा फैसला किया गया तभी भारत अपना रुख सकारात्मक करेगा.