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आनंद मोहन की रिहाई पर चढ़ा सियासी पारा

पटना . पूर्व सांसद आनंद मोहन समेत 27 बंदियों की रिहाई के राज्य सरकार के फैसले को भाजपा ने गलत ठहराया है. वहीं, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आ गई है.

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के बहाने अन्य 26 ऐसे लोगों को भी रिहा करने का फैसला किया है, जो एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण में फिट बैठते हैं. आनंद मोहन की रिहाई पर जहां उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने टिप्पणी की, वहीं, राजद ने भाजपा द्वारा राजनीति करने का आरोप लगाया है.

राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मंगलवार को कहा कि बिल्कीस बानो केस में आजीवन कारावास वाले सजायाफ्ताओं को महिमा मंडित करने वाली भाजपा द्वारा दोहरा मापदंड अपनाया जाना भाजपा की चारित्रिक पहचान बन गई है.

तेजस्वी ने टिप्पणी से इंकार किया उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव मंगलवार की शाम नई दिल्ली के लिए रवाना हुए. इसके पूर्व पटना एयरपोर्ट पर मीडिया के सवालों से बचते हुए तेजस्वी यादव ने आनंद मोहन की रिहाई पर टिप्पणी करने से इंकार किया. तेजस्वी ने कहा कि हमको कुछ नहीं बोलना है.

रिहाई न्याय का उपहास आईएएस निकाय

डीएम जी. कृष्णनैया की हत्या के आरोपी आनंद मोहन सिंह को रिहा करने पर शीर्ष आईएएस निकाय ने कहा, एक सजायाफ्ता हत्यारे की रिहाई ‘न्याय का उपहास’ है और यह फैसला पीड़ित को न्याय से वंचित करने के समान है. भारतीय नागरिक और प्रशासनिक सेवा (केंद्रीय) संघ ने कहा, हम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं.

आनंद की आड़ में सरकार ने गलत किया गिरिराज

आनंद मोहन की रिहाई के मसले पर भाजपा हमलावर है. मंगलवार को पटना पहुंचे केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्य सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर किसी को आपत्ति नहीं है. लेकिन आनंद मोहन की आड़ में इस सरकार ने जो काम किया है, उसे समाज कभी मा़फ नहीं करेगा. सरकार ने इस विषय पर राजनीति की है.

जी. कृष्णनैया की पत्नी की अपील, पीएम हस्तक्षेप करें

आईएएस जी. कृष्णनैया की पत्नी ने आनंद मोहन की रिहाई के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि मेरा प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह निर्णय वापस लेने के लिए कहें. बिहार में एक दलित नौकरशाह की हत्या के दोषी को मौत की सजा मिलनी चाहिए थी. अगर उसे फांसी दी गई तो लोग अपराध करने से डरेंगे.

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