रांची, 30 अगस्त झारखंड में सियासी हलचल के बीच सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है. मंगलवार को सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों का एक बार फिर रांची के कांके रोड स्थित सीएम हाउस में जुटान हुआ है. रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर इंडिगा की स्पेशल फ्लाइट की बुकिंग हुई है. उधर रायपुर से मिली सूचना के अनुसार, वहां मेफेयर नामक रिसॉर्ट में 30 और 31 अगस्त के लिए कमरों की बुकिंग की गई है.
रायपुर में बुक कराये गये रिसॉर्ट की सुरक्षा में आईपीएस और डीएसपी स्तर के दर्जन भर अधिकारियों की तैनाती की सूचना है. अफसरों की तैनाती को लेकर एसपी ने बकायदा पत्र भी जारी किया है. रिसॉर्ट के कमरों को दो दिन पहले ही खाली करा लिया गया था. यहां रह रहे मेहमानों को सोमवार को ही दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था.
मंगलवार को दिन ग्यारह बजे मंत्री बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता, चंपई सोरेन और जगरनाथ महतो के अलावा कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, उमाशंकर अकेला, झामुमो विधायक सरफराज अहमद, सुदिव्य कुमार सोनू सहित कई अन्य विधायक दोपहर मुख्यमंत्री आवास पहुंचे. यह भी जानकारी मिल रही है कि सभी विधायकों को बैग एंड बैगेज आने को कहा गया है. वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय पिछले चार दिनों से रांची में ही कैंप कर रहे हैं. वह भी दोपहर दो बजे सीएम हाउस पहुंचे हैं.
झामुमो के केंद्रीय महासचिव बिनोद पांडेय ने बताया कि सभी विधायकों को मुख्यमंत्री आवास बुलाया गया है. मुख्यमंत्री उनके साथ बैठक करेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या विधायकों को राज्य से बहार ले जाया जा रहा है, उन्होंने जवाब में कहा कि कोई भी फैसला बैठक में ही होगा.
मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि सीएम हाउस में विधायकों-मंत्रियों को बुलाया गया है. मौजूदा राजनीतिक हालात में कोई भी फैसला सबकी सहमति से होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा झारखंड सरकार को अपदस्थ करने की साजिश रची जा रही है. वह यहां काला अध्याय लिखना चाहती है, लेकिन उसे पता नहीं कि हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है.
इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक सितम्बर को झारखंड कैबिनेट की बैठक बुलाई है. जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक दो दिनों तक रायपुर में रहने के बाद महागठबंधन का कुनबा एक सितम्बर को रांची लौटेगा. शाम चार बजे कैबिनेट और इसके बाद फिर महागठबंधन के विधायकों की बैठक होगी और आगे की रणनीति तय की जायेगी. यदि इस बीच राज्यपाल का फैसला आ जाता है तो उसके हिसाब से रणनीति बनेगी.