हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की अष्टमी के दिन राधा अष्टमी मनाई जाती है. इस साल राधा अष्टमी 4 सितंबर, रविवार यानी आज मनाई जाएगी. मान्यता है कि राधा रानी के बिना भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी होती है. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण के नाम के साथ राधा रानी का नाम साथ में लिया जाता है. राधा अष्टमी के पावन दिन राधा रानी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्री राधा चालीसा का पाठ अवश्य करें. श्री राधा चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और दुख- दर्द दूर हो जाते हैं.
कहते हैं राधा धरती पर कृष्ण की इच्छा से ही आईं थीं. जन्म के 11 महीनों तक राधा ने अपनी आंखे नहीं खोलीं थीं. कुछ दिन बाद वो बरसाने चली गईं. जहां पर आज भी राधा-रानी का महल मौजूद है. राधाजी वृंदावन की अधीश्वरी हैं. वृंदावन से 43 किलोमीटर दूर बरसाना के ब्रह्माचल पर्वत पर राधारानी लाडली सरकार स्वरूप में विराजती हैं. राधारानी का ये दरबार श्री जी दरबार के नाम से भी प्रसिद्ध है. कहते हैं कि इस दरबार में राधारानी प्रेम के अखंड आशीर्वाद के साथ-साथ धन और ऐश्वर्य का भी वरदान देती हैं.
कौन हैं श्री राधा जी ?
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा जी का जन्म हुआ था. इस दिन को राधाष्टमी के नाम से मनाया जाता है. राधा जी का जन्म कृष्ण के साथ सृष्टि में प्रेम भाव मजबूत करने के लिए हुआ था. कुछ लोग मानते हैं कि राधा एक भाव है, जो कृष्ण के मार्ग पर चलने से प्राप्त होता है. हर वह व्यक्ति जो कृष्ण के प्रेम में लीन होता है, राधा कहलाता है. अष्टमी तिथि 3 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर आरंभ होगी. इस तिथि का समापन 4 सितंबर रविवार सुबह 10.40 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का पर्व 04 सितंबर को मनाया जाएगा
जब राधाष्टमी का त्योहार करीब आता है, तो राधे के भक्त राधे की धुन में सराबोर हो जाते हैं. राधाष्टमी ही वह दिन होता है, जब भक्त राधा रानी के चरणों के शुभ दर्शन प्राप्त करते हैं, क्योंकि दूसरे दिनों में राधा के पैर ढके रहते हैं.
राधाष्टमी को कैसे करें श्री राधा जी की पूजा ?
राधा जी की धातु या पाषाण की प्रतिमा ले आयें. पंचामृत से स्नान कराके , उन्हें नवीन वस्त्र धारण कराएँ. मध्यान्ह में मंडप के भीतर ताम्बे या मिट्टी के बर्तन पर दो वस्त्रों में राधा जी की मूर्ति स्थापित करें. भोग लगाकर, धूप,दीप, पुष्प अर्पित करें. राधा जी की आरती करें. सम्भव हो तो उपवास करें. दूसरे दिन सौभाग्यवती स्त्री को श्रृंगार की सामग्री और मूर्ति का दान करें. तब जाकर सम्पूर्ण भोजन ग्रहण करके व्रत का पारायण करें.
प्रेम में सफलता के लिए कैसे करें श्री राधा की उपासना
- राधा कृष्ण की संयुक्त पूजा करें.
- कृष्ण जी को पीला और राधा जी को गुलाबी वस्त्र अर्पित करें.
- “राधावल्लभाय नमः” का जाप करें.
- अखंड भक्ति के लिए क्या उपाय करें ?
- राधा और कृष्ण की मध्यान्ह में संयुक्त पूजा करें.
- उनके समक्ष घी का एक दीपक जलाएं.
- तुलसी दल और मिसरी समर्पित करें.
- “मेरी भव बाधा हरो , राधा नागरी सोई ,
- जा तन की झाईं परे , श्याम हरित दुति होई.”
- इस दोहे का 108 बार जप करें.