मशीन बंद होने से बचाव अभियान फिर बाधित

उत्तरकाशी . सिलक्यारा सुरंग में पाइप टनल बनाकर अंदर फंसे मजदूरों तक जल्द पहुंचने की उम्मीदों को तब झटका लग गया, जब शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई. मशीन से मलबे के भीतर करीब 22 मीटर तक एस्केप टनल बना ली गई थी जबकि लगभग 40 मीटर काम बाकी था.
इस मशीन को ठीक करने के साथ एहतियात के तौर पर इंदौर से एक और मशीन मंगाई जा रही है. इसके अलावा प्लान सी के तहत टनल के ऊपर से ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचने का भी प्रयास किया जा सकता है. बचाव कार्यों के दौरान प्रभावित क्षेत्र में मलबा-बोल्डर आने से भी मुश्किलें आ रही हैं.
खिसक रहा मलबा सूत्रों के अनुसार, टनल के प्रभावित क्षेत्र में लगातार मलबा गिर रहा है. मलबे से बचाने के लिए ऑगर मशीन को भी पीछे खींच लिया गया. इससे अंदर पहुंचने में कुछ और वक्त लग सकता है. बचाव कार्य देर रात तक थमे हुए थे. एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने ड्रिलिंग प्रभावित होने की पुष्टि करते हुए कहा कि जल्द दोबारा काम शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, मशीन के लगातार चालू रहने से हुए कंपन ने टनल में हलचल पैदा कर दी है. इससे मलबा ढीला होकर गिरना शुरू हो गया.
रुक-रुक कर होगी ड्रिलिंग टनल में अब मशीन लगातार नहीं चलाई जाएगी. कुछ-कुछ घंटे का ब्रेक देते हुए ड्रिलिंग की जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, मशीन के लगातार चलने की वजह से टनल के भीतर कंपन बढ़ रही है. यह भी ठीक नहीं है. इसलिए अब से ऑपरेशन के दौरान मशीन को ब्रेक देते हुए चलाया जाएगा.
छह दिन बाद पता चला 40 नहीं, 41 मजदूर सिलक्यारा टनल के निर्माण और व्यवस्था के प्रति लापरवाही की हद यह है कि छठवें दिन कंपनी को पता चला कि टनल के भीतर 40 नहीं, बल्कि 41 मजदूर फंसे हुए हैं. शुक्रवार 41वें मजदूर के रूप में बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक कुमार पुत्र शत्रुघ्न पटेल की पहचान हुई है.
इंदौर से लाई गई एक और ऑगर मशीन
उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रूहेला ने बताया कि बचाव कार्यों को लगातार जारी रखने के मद्देनजर इंदौर से एक और ऑगर मशीन मंगाई गई है. मशीन एयर लिफ्ट कर जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाई जा चुकी और अब सड़क मार्ग से सिलक्यारा आ रही है.