रक्षाबंधन पर भाई अपनी बहन को तोहफा और रक्षा का वचन देते हैं, लेकिन रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) पूरे साल न सिर्फ रक्षा करती है, बल्कि सफर करने वाली महिलाओं को उनके खोए सामान को ढूंढ़कर उनके आंसू भी पोंछती है. बीते तीन साल में आरपीएफ ने 304 मामलों में करीब 59 लाख रुपए कीमत की गुम सामान को 24 घंटे के भीतर न सिर्फ तलाशा, बल्कि संबंधित को वापस लौटाया. इनमें 250 मामलों में महिलाएं शामिल थी. इनके गुम सामान की कीमत 52 लाख आंकी गई. अफसरों ने बताया कि महिला के अधिकतर गुम मामलों में जेवर या कोई मूल्यवान वस्तुएं रहती हैं. जब इनका खोया सामान दिलाते हैं तो इनकी खुशी देखने लायक होती है. भोपाल डिवीजन में करीब 250 यात्री ट्रेन चलती हैं. इनमें आरपीएफ के 540 जवानों का फोर्स निगरानी करता है.
जेवर, कपड़े, मोबाइल और दस्तावेज ही खोते हैं
आरपीएफ को जेवर, कपड़े, मोबाइल और दस्तावेज गुमने की शिकायतें हेल्प सेंटर या 139 टोल फ्री नंबर के जरिए मिलती हैं. सामान खोने की सूचना मिलते ही उस ट्रेन में मौजूद आरपीएफ स्क्वाॅड को सूचित किया जाता है. कई बार तत्परता दिखाने पर सामान वहीं मिल जाता है. लेकिन स्क्वाॅड मौजूद नहीं है तो अगले स्टेशन पर सूचित कर देते हैं.
आरपीएफ ने कब, कितना सामान यात्रियों को लौटाया
वर्ष मामले कीमत
2020 69 10 लाख रु.
2021 125 25 लाख रु.
2022 113 24 लाख रु. (जुलाई तक)
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