
नेपाल के जनकपुर स्थित जानकी मंदिर से शालिग्राम शिला सोमवार सुबह नौ बजे अयोध्या के लिए रवाना होगी. इससे पहले रविवार को जानकी मंदिर में पूरे विधि-विधान से शिला की पूजा की गई. वैदिक मंत्रोच्चार से हो रही शिलापूजा को देखने व उसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु व साधु-संत मौजूद थे.
नेपाल की काली गंडकी नदी से निकाली गयी यह शिला शनिवार देर रात जनकपुधाम स्थित जानकी मंदिर पहुंची थी. सोमवार सुबह नौ बजे शिला को जनकपुरधाम नगर की परिक्रमा करायी जाएगी. दो ट्रॉली पर रखी शालिग्राम शिला भारत-नेपाल के बीच जटही बॉर्डर होते हुए अयोध्या तक जाएगी. राम जन्मभूमि न्यास से जुड़े कामेश्वर चौपाल के मुताबिक, शिला जनकपुर से अयोध्या के बीच करीब 151 जगहों पर श्रद्धालुओं के दर्शन व पूजा के लिए रुकेगी. रास्ते में शिला के साथ नेपाल सरकार के प्रतिनिधि के अलावा जानकी मंदिर के महंत तपेश्वर दास, साधु-संतों की टोली व आमलोग भी चलेंगे. सूत्र बता रहे हैं कि अयोध्या पहुंचने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ शिला को ग्रहण कर न्यास को सौपेंगे. माना जा रहा है कि शालिग्राम शिला से निर्मित कोई भी प्रतिमा हजारों साल खराब नहीं होती हैं.
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की निर्माण समिति के दूसरे दिन पदाधिकारियों की बैठक रामघाट स्थित कार्यशाला में शुरू हुई. वहीं, तकनीकी विशेषज्ञों की गोपनीय बैठक अलग हुई. इस दौरान रामलला के विग्रह के माडलों पर गहनता से मंथन किया गया. कम्प्यूटर पर हर मॉडल की भाव भंगिमा पर चर्चा की गई. इस चर्चा में रामलला के नेत्रों की सुंदरता और उनका देवत्व, चेहरे की मुस्कान, शारीरिक बनावट व हाथ-पैर की लंबाई के अनुपात की परख की गई. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस बारे में ट्रस्टियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए.