नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नफरत भरे भाषण देश में माहौल खराब कर रहे हैं और इसे रोकने की जरूरत है. यह टिप्पणी चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान की. याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस तरह के भाषणों के खिलाफ सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
पीठ ने कहा कि आप सही कह रहे हैं कि नफरती भाषणों को रोकने की जरूरत है. याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा कि 2024 के आम चुनावों से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अभद्र भाषा बोली गई थी. अभद्र भाषा को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया गया है. एक पार्टी ने कश्मीर फाइल्स को वित्त पोषित किया.
पीठ ने शुरू में कहा कि ऐसे मामलों में सामान्य आपराधिक कानून की कार्यवाही की जानी चाहिए. हमें देखना होगा कि कौन शामिल है और कौन नहीं. चीफ जस्टिस ने कहा, एक अदालत को इस पर संज्ञान लेने के लिए हमें तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की आवश्यकता है. पीठ ने याचिकाकर्ता से सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई एक नवंबर के लिए स्थगित कर दी.
बेंच ने याचिकाकर्ता को कुछ घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत करने और जांच के दौरान उठाए गए कदमों के बारे में विचाराधीन अपराध का विवरण देने के लिए समय दिया. याचिकाकर्ता यह भी विवरण दे सकता है कि क्या अपराध दर्ज किए गए थे और अपराधी कौन माने जाते हैं? अदालत ने कहा कि 31 अक्टूबर तक हलफनामा दायर किया जाए.
CJI ने कहा, ‘एक अदालत को इस पर संज्ञान लेने के लिए हमें तथ्यात्मक पृष्ठभूमि की आवश्यकता है. हमें मामलों के कुछ नमूने चाहिए. अन्यथा यह एक यादृच्छिक याचिका है.’ याचिकाकर्ता ने तब कहा था कि वह नफरत भरे भाषणों के उदाहरणों का हवाला देते हुए एक हलफनामा दाखिल करेगा और क्या अपराध दर्ज नहीं किए गए थे. बेंच ने सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई 1 नवंबर के लिए स्थगित कर दी.