नई दिल्ली. सरकार ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि शीर्ष और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
किरेन रिजिजू ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तक बढ़ाने के लिए 2010 में संविधान (114वां संशोधन) विधेयक पेश किया गया था. लेकिन संसद में उस पर विचार नहीं किया जा सका और 15वीं लोकसभा के साथ ही इसकी अवधि समाप्त हो गई.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं. वहीं, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 72 हजार मामले लंबित
सरकार ने गुरुवार को संसद को सूचित किया कि सर्वोच्च न्यायालय में 72,062 और विभिन्न हाईकोर्ट में 59,45,709 मामले लंबित हैं. न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी. रिजिजू ने बताया कि 15 जुलाई 2022 की स्थिति के अनुसार विभिन्न उच्च न्यायालयों में 59,45,709 मामले लंबित हैं. उन्होंने कहा कि देश की विभिन्न जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में 15 जुलाई 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार 4,19,79,353 मामले लंबित हैं. लंबित मामलों का निपटान न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है.
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