सूरत . गुजरात में एक हीरा कारोबारी की बेटी नौ वर्ष की नन्हीं उम्र में सभी सुखों को त्याग कर साध्वी बन गई. सूरत के वेसू इलाके में बुधवार को दीक्षा महोत्सव स्थल पर जैन मुनि आचार्य विजय कीर्तियशसुरी और हजारों लोगों की मौजूदगी में हीरा कारोबारी धनेश संघवी की बड़ी बेटी ने दीक्षा ली. देवांशी अब साध्वी प्रज्ञाश्री कहलाएंगी.
सूरत के वेसु इलाके में देवांशी सांघवी का दीक्षा का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें 30 हजार से अधिक लोग जुटे. नन्हीं सी देवांशी सांघवी को दुल्हन की तरह सजा कर रथ पर सवार कर यात्रा निकाली गई. ग्रहस्थ जीवन त्याग कर सन्यास जीवन ग्रहण करने जा रही देवांशी सांघवी को देखने के लिए सड़कों पर सैकड़ों की भीड़ जमा हुई. इसके बाद जैन मुनि आचार्य विजय कीर्तियशसूरी और सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में ‘दीक्षा’ ली.
संघवी के पारिवारिक मित्र नीरव शाह ने बताया कि देवांशी का झुकाव बहुत कम उम्र से ही आध्यात्मिक जीवन की ओर रहा. उन्होंने अन्य भिक्षुओं के साथ लगभग 700 किमी की पैदल यात्रा की थी और औपचारिक रूप से संन्यासी बनने से पहले उनके जीवन को अपना लिया था. वह पांच भाषाएं जानती हैं और उनके पास अन्य भरी कई कौशल है.
पारिवारिक मित्र नीरव शाह ने बताया कि देवांशी अब नन्हीं सी उम्र में उन सभी भौतिक सुख-सुविधाओं और विलासिता से दूर रहेंगी, जो हीरा व्यापारी का परिवार उन्हें प्रदान कर सकता था. उनके पिता सूरत में हीरा तराशने और निर्यात करने वाली करीब तीन दशक पुरानी कंपनी सांघवी एंड संस के मालिक हैं.