राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज स्थित मैदान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव के अंतिम दिन हरियाणा के लोक कलाकारों ने घूमर नृत्य की प्रस्तुति सहित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. घूमर नृत्य हरियाणा का एक अनोखा पारंपरिक लोक नृत्य है. नर्तक दल के लीडर सुनील कौशिक ने बताया कि यह नृत्य राज्य के पश्चिमी हिस्सों में लोकप्रिय है. इस नृत्य में नृत्यांगनाओं के वृत्ताकार आंदोलन इस नृत्य को अलग पहचान देते हैं. आमतौर पर राज्य के सीमा क्षेत्र की लड़कियां घूमर का प्रदर्शन करती हैं. नर्तक, जो एक परिपत्र मोड लेते हैं और ताली बजाने और गाने के बारे में आगे बढ़ते हैं, इस नृत्य का प्रदर्शन करते हैं. लड़कियाँ गाती हैं जब वे एक घूमने वाले आंदोलन में नृत्य करती हैं और संगीत के गति के रूप में लड़कियों के जोड़े बढ़ते हैं और तेज़ी से और तेज़ी से घूमते हैं. साथ के गीत व्यंग्य, हास्य और समकालीन घटनाओं से भरे हुए हैं, जबकि नर्तक जोड़े में घूमते हैं. यह नृत्य होली, गणगौर पूजा और तीज जैसे त्योहारों के अवसर पर किया जाता है.
यह भील जनजाति का लोक नृत्य है.यह नृत्य फसल की कटाई के समय किया जाता है.यह एक समूह नृत्य है .यह नृत्य विशेष अवसर पर किया जाता है.यह नृत्य फसल कटाई के बाद, फसल अच्छे दामों पर बिकने बाद किया जाती है पत्नि अपने पति से विभिन्न तरीके से भिन्न-भिन्न वस्तुओं की मांग करती है और वार्तालाप के माध्यम से इस घुमर नृत्य को प्रस्तुत किया जाता है.
इसी खुशी के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है.