सुप्रीम कोर्ट ने कहा अकेला व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है

नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कहा कि भारतीय कानून वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना अकेले व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने की अनुमति देते हैं. कानून मानता है कि आदर्श परिवार की अपने जैविक संतान होने के अलावा भी कुछ विषम स्थितियां हो सकती हैं.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष दलील दी कि लिंग की अवधारणा परिवर्तनशील हो सकती है, लेकिन मां और मातृत्व नहीं. आयोग ने विभिन्न कानूनों में बच्चे का कल्याण सर्वोपरि रखे जाने का उल्लेख करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि यह कई फैसलों में कहा गया है कि बच्चे को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है.
आयोग की वकील अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से कहा, हमारे कानूनों की संपूर्ण संरचना स्वाभाविक रूप से विषम लैंगिक व्यक्तियों से पैदा हुए बच्चों के हितों की रक्षा और कल्याण से संबंधित है और सरकार विषमलैंगिकों तथा समलैंगिकों के साथ अलग-अलग व्यवहार करने में न्यायसंगत है.
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ समलैंगिक विवाह को मान्यता संबंधी याचिकाओं पर बुधवार को नौवें दिन सुनवाई कर रही थी. वीडियो कांफ्रेंस के जरिये पेश अंसन थॉमस नामक एक व्यक्ति ने सीजेआई को 13 मार्च एवं 17 अप्रैल को भेजे अपने पत्रों का हवाला दिया और कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ को इस मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, धन्यवाद, श्रीमान थॉमस, अर्जी खारिज की जाती है. सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश को सुनवाई से हटाने की दलीलों पर आपत्ति जताई. मामलेमें सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी.
राजस्थान, आंध्र प्रदेश, असम समलैंगिक विवाह के खिलाफ
केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे समलैंगिक विवाह के मामले में सात राज्यों से जवाब मिले हैं. राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम ने इसको वैध करने के लिए दाखिल याचिका का विरोध किया है. मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र व सिक्किम ने इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करने पर जोर देते हुए कहा है कि वे तुरंत अपनी प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं हैं.