मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार की विश्वास, विकास और सुरक्षा की नीति ने राज्य के बस्तर क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में काफी हद तक कमी आई है.
पिछले साढ़े तीन साल में राज्य में नक्सली घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है.
43 नए सुरक्षा शिविरों और पुलिस स्टेशनों की स्थापना के साथ ही भय का माहौल समाप्त हो गया.
वर्ष 2008 से 2018 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस दौरान प्रदेश में हर साल नक्सलियों द्वारा 500 से 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया, जो पिछले साढ़े तीन साल में घटकर औसतन 250 हो गया है.
वर्ष 2022 में, अब तक केवल 134 नक्सली घटनाएं हुई हैं, जो 2018 से पहले की तुलना में लगभग चार गुना कम है.2018 से पहले, राज्य में नक्सली मुठभेड़ों के मामले प्रति वर्ष लगभग 200 हुआ करते थे, जो अब दो अंकों पर आ गए हैं
राज्य सरकार ने कहा कि वर्ष 2021 में, राज्य में केवल 81 मुठभेड़ के मामले सामने आए हैं और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले सामने आए हैं.
हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या भी बढ़ी है.
पिछले साढ़े तीन साल में 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है.
छत्तीसगढ़ सरकार की जन हितैषी नीतियों और विकास कार्यों का ही परिणाम है कि बस्तर संभाग के 589 गांवों के करीब छह लाख लोग नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, जिनमें से 121 गांव सुकमा जिले के हैं.
दंतेवाड़ा जिले के कुल 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव, कोंडागांव के 32 गांवों को नक्सल प्रभाव से मुक्त कराया गया है.
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में नक्सल समस्या राज्य के दो तिहाई हिस्से में फैल गई थी. बस्तर क्षेत्र सहित धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, राजनांदगांव, कबीरधाम, रायगढ़ जैसे मैदानी इलाकों में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियों और आतंक के कारण पूरे प्रदेश में भय का माहौल बन गया था.
ताड़मेटला, झाराघाटी, एराबोर, मदनवाड़ा और जीरम घाटी जैसी बड़ी नक्सली घटनाओं में सुरक्षा बलों के जवानों के अलावा बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के शीर्ष नेता और नागरिक मारे गए. नक्सली हिंसा के कारण कई स्कूल और आश्रम बंद हो गए थे.
इस दौरान सड़क, पुल-पुलिया को भी नक्सलियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनी सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों का विश्वास हासिल कर विकास कार्यों को गति देने के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए गंभीर प्रयास शुरू किया, जिसके बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं.
बस्तर संभाग के अंतर्गत नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ क्षेत्र के लोगों की इच्छानुसार विकास कार्यों को गति देने के लिए साढ़े तीन साल में 43 नए सुरक्षा शिविर और थाने स्थापित किए गए. स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, बिजली सुविधा, बैंक, आंगनबाड़ी केंद्रों और अन्य सुविधाओं की तेजी से उपलब्धता के कारण लोगों का प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है.
नक्सल आतंक के कारण बस्तर संभाग में बंद 363 स्कूलों में से छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से बच्चों की शिक्षा के लिए 257 स्कूल फिर से शुरू हो गए हैं, जिनमें से बीजापुर जिले में 158 स्कूल, सुकमा में 57 स्कूल और कांकेर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दो स्कूल हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल में बस्तर संभाग के सुदूर वनांचल के नक्सल प्रभावित गांवों में परिवहन और बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने में भी बड़ी सफलता हासिल की है. 196 गांवों में बिजली पहुंचाई गई है.
बस्तर क्षेत्र में स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने के प्रभावी कदमों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ सशस्त्र बलों, बस्तर लड़ाकों और जिला पुलिस बल में भर्ती के लिए अधिक अवसर मिलने के कारण माओवादी संगठनों की भर्ती में कमी आई है.