कानूनी शब्दावली से हाउसवाइफ और छेड़छाड़ जैसे शब्द बाहर होंगे

नई दिल्ली. जल्द ही कानूनी शब्दावली से छेड़छाड़, वेश्या, बिन ब्याही मां, अफेयर और हाउसवाइफ जैसे शब्द बाहर होंगे. अदालती फैसलों, दलीलों और कानूनी दस्तावेजों में इनकी जगह सड़क पर यौन उत्पीड़न, यौनकर्मी, मां और होममेकर जैसे शब्द इस्तेमाल होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक असमानता और भेदभाव दर्शाने वाले शब्दों के इस्तेमाल से बचने के लिए बुधवार को ‘हैंडबुक’ जारी की. इसमें लैंगिक रूप से अन्यायपूर्ण शब्दों की शब्दावली के साथ वैकल्पिक शब्द और वाक्यांश सुझाए गए हैं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायमूर्ति की संविधान पीठ ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते वक्त ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर रूढ़िवादिता’ के नाम से बुकलेट जारी की. इसमें महत्वपूर्ण मुद्दों, खासकर यौन हिंसा से जुड़े मुद्दों पर प्रचलित कानूनी सिद्धांत को समाहित किया गया है. कोर्ट की ओर से कहा गया कि बुकलेट का उद्देश्य न्यायमूर्ति को अपने तर्क, लेखन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने के लिए ज्ञान और उपकरणों से लैस करना और यह सुनिश्चित करना है कि न्याय निष्पक्ष और न्यायसंगत रूप से दिया जाए.
अब इनका इस्तेमाल किया जाएगा
हैंडबुक में कई शब्दों को बदला गया है. इनमें बिन ब्याही मां की जगह सिर्फ मां, अफेयर की जगह शादी से इतर रिश्ता, वेश्या की जगह यौनकर्मी, बाल वेश्या की जगह बच्चा तस्करी कर लाया गया, बास्टर्ड की जगह ऐसा बच्चा, जिसके माता-पिता ने शादी नहीं की हो. छेड़छाड़ (ईव टीजिंग) की जगह सड़क पर यौन उत्पीड़न, हाउसवाइफ की जगह होममेकर शब्दों का इस्तेमाल होगा. प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस (भड़काऊ कपड़े) की बजाय क्लोदिंग/ड्रेस प्रयोग होगा. कीप की जगह ऐसी महिला जिसका शादी के अतिरिक्त किसी व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध हो जैसे वाक्य या शब्दों का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है.