75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में अब रथ की नगर परिक्रमा करवाने की रस्में शुरू हो चुकी है. शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का छत्र 4 पहियों वाले फूल रथ पर रखा गया, फिर इस रथ को विभिन्न समुदाय के लोगों ने खींचकर सालों से चली आ रही परंपरा निभाई. बताया जा रहा है कि यह रथ करीब 40 फीट लंबा, 20 फीट चौड़ा और करीब 30 फीट ऊंचा है. इस रथ को खींचने के लिए आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोग इस बार भी अपनी मर्जी से पहुंचे हैं. यह रथ फूलों से सजा होता है, इसलिए इसे फूल रथ कहा जाता है.
जगदलपुर के मां दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार ने बताया कि, शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन से रथ परिक्रमा करवाने की परंपरा है. शुरुवाती 6 दिनों तक चार पहिए वाले फूल रथ की नगर परिक्रमा करवाई जाएगी. मंगलवार को मां दंतेश्वरी के छत्र को रथ पर विराजित किया गया. फिर सैकड़ों लोगों ने रथ को खींच सालों से चली आ रही परंपरा निभाई. उन्होंने बताया कि, हर एक साल के अंतराल में 4 और 8 पहिए वाले फूल और विजय रथ निर्माण करने का नियम बनाया गया है. यह नियम रियासत काल से चला आ रहा है.