पूजा से पहले स्नान को शुद्धता के लिए जरूरी माना जाता है, लेकिन कुछ स्थितियों में बिना नहाए भी पूजा संभव है:
अगर स्नान न कर सकें, तो मन में पवित्रता और श्रद्धा रखकर पूजा करें।
मंत्र जाप और ध्यान के लिए स्नान जरूरी नहीं है।
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बिना स्नान भी भगवान का ध्यान किया जा सकता है, जो तनाव कम करता है।
मंदिर जाने और मूर्तियों को छूने के लिए स्नान अनिवार्य है। पूजा अधूरी: बिना स्नान पूजा का फल अधूरा माना जाता है।
स्नान बेहतर है, लेकिन मन की पवित्रता और श्रद्धा से भी पूजा की जा सकती है।
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