चौथा: भारत ने लगातार कहा कि कूटनीतिक स्तर पर मैत्रीपूर्ण तरीके से हल निकालना चाहिए। भारत के सामने संकट यह है कि किसी भी पक्ष पर असहयोगी रुख अपनाने का दोष नहीं लगा सकता। पश्चिमी देश रूस पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं पुतिन नाटो के विस्तार को कारण बता रहे हैं। भारत के सामने सिद्धांत-नैतिक मूल्यों व व्यवहारवाद संबंधों में से किसी एक को चुनने की चुनौती है।